गूगल (Google) 14 जनवरी 2020 को भारत के जाने-माने कवि, गीतकार और कार्यकर्ता कैफी आजमी की 101वीं जयंती मना रहा है. गूगल ने इस खास मौके पर उन्हें विशेष सम्मान देते हुए उनका डूडल बनाया है. कैफी आजमी की शेरो-शायरी की प्रतिभा बचपन के दिनो से ही दिखाई देने लगी थी.
कैफी आजमी 20 वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे. उन्होंने अपनी पहली कविता केवल 11 साल की उम्र में लिखी थी. उस समय, कैफी आजमी महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से प्रेरित थे. कैफी आजमी को फिल्म उद्योग में उर्दू साहित्य को बढ़ावा देने हेतु भी जाना जाता है.
गूगल ने बनाया डूडल
गूगल ने 14 जनवरी 2020 को अपना डूडल कैफी आजमी के नाम किया है और डूडल के जरिए याद किया है. दरअसल, गूगल हमेशा समाज में अपना योगदान देने वाले लोगों को अपने डडूल के जरिए याद करता है और उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर डूडल बनाता है.
गूगल का पेज खुलते ही कैफी आजमी की तस्वीर नजर आ रही है. डूडल में कैफी आजमी को माइक पर कुछ बोलते हुए दिखाया गया है. उन्होंने कविताओं के अतिरिक्त बॉलीवुड गीत और कुछ फिल्मों की कहानियां भी लिखीं.
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पुरस्कार और सम्मान
कैफी आजमी को उनके काम के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. इसमें तीन फिल्मफेयर अवार्ड, साहित्य और शिक्षा के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार और साहित्य अकादमी फेलोशिप सम्मान शामिल हैं.
कैफी आजमी के बारे में
• कैफी आजमी का जन्म 14 जनवरी 1919 को आज़मगढ़ के मिज़वान गाँव में हुआ था. उनका असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था.
• कैफी आजमी को बचपन से ही कविताएँ लिखने का शौक था. उन्होंने अपनी किशोरावस्था के दौरान कविता पाठ में भाग लेना शुरू कर दिया था.
• कैफी आजमी ने मुंबई आकर एक उर्दू अखबार में लिखना शुरू कर दिया था. उनका पहला कविता संग्रह 'झंकार' साल 1943 में प्रकाशित हुआ था.
• कैफी आजमी बाद में ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ के सदस्य बने, जो सामाजिक-आर्थिक सुधार लाने के लिए लिखते थे.
• उन्होंने फिल्म पाकीजा में 'चलते चलते', फिल्म 'अर्थ' में 'कोई ये कैसे बताए' और 'ये दुनिया ये महफिल' जैसे गीतों को लिखा. उनका लिखा हुआ देशभक्ति गाना 'कर चले हम फिदा' बहुत मशहूर हुआ था.
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