धारा 115BAC: आयकर अधिनियम, 1961 की नव-सम्मिलित धारा 115BAC में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति, एक व्यक्ति या अविभाजित परिवार से होने के नाते, जो अपने व्यवसाय या पेशे से प्राप्त आय के अलावा भी अन्य किसी साधन से आय अर्जित करता हो, वह प्रत्येक वर्ष के लिए इस धारा के तहत खुद पर कर लगाने का विकल्प और इस अधिनियम की धारा 139 की उप-धारा (I) के तहत उसकी आय की वापसी होगी. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115BAC रियायती दर का प्रावधान है, लेकिन यह इस शर्त के अधीन है कि कुल आय की गणना निर्दिष्ट छूट या कटौती, नुकसान की भरपाई और अतिरिक्त मूल्यह्रास के बिना की जाएगी.
हालांकि, यह पॉइंट स्पस्ट नहीं था कि कर की कटौती के समय इस अधिनियम की धारा 115BAC के प्रावधानों पर विचार किया जाना है या नहीं. स्रोत (टीडीएस) में कटौती किए जाने के बारे में ही कई चिंतायें या शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिनमें यह कहा गया था कि कटौतीकर्ता, एक नियोक्ता होने के नाते, यह नहीं जानता होगा कि क्या कोई व्यक्ति, उसका एक कर्मचारी होने के नाते, इस अधिनियम की धारा 115BAC के तहत कराधान का चयन करेगा या नहीं. चूंकि रिटर्न दाखिल करते समय इस विकल्प का उपयोग किया जाना आवश्यक है.
इसलिए, ऐसे मामलों में भ्रम और कठिनाई से बचने के लिए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने उक्त अधिनियम की धारा 119 के तहत अपनी शक्तियों के प्रयोग में निम्नलिखित स्पष्टीकरण जारी किए हैं:
• एक कर्मचारी, जिसके पास "व्यवसाय या पेशे से प्राप्त आय और लाभ" के तहत मिलने वाली आय के अलावा भी अन्य स्रोत से आय है और अधिनियम की धारा 115BAC के तहत रियायती दर का विकल्प चुनना चाहता (इरादा) है, ऐसा कर्मचारी प्रत्येक पिछले वर्ष के लिए कटौतीकर्ता को अपने इस इरादे की जानकारी दे सकता है.
• कटौतीकर्ता, नियोक्ता होने के नाते, अपनी कुल आय की गणना करेगा और अधिनियम की धारा 115BAC के प्रावधानों के अनुसार उस आय पर टीडीएस (स्रोत पर कर-कटौती) भरेगा.
• अगर कर्मचारी इस तरह की सूचना देने में विफल रहता है, तो नियोक्ता अधिनियम की धारा 115BAC के प्रावधान पर विचार किए बिना टीडीएस तैयार करेगा.
• इसके अलावा, कर्मचारी द्वारा कटौतीकर्ता को दी गई सूचना केवल पिछले वर्ष के दौरान टीडीएस के प्रयोजनों के लिए होगी जो उस वर्ष के दौरान संशोधित नहीं की जा सकती है.
• हालांकि, यह सूचना अधिनियम की धारा 115BAC की उप-धारा (5) के संदर्भ में इस विकल्प का उपयोग करने के लिए नहीं होगी और ऐसे व्यक्ति को पिछले वर्ष के लिए अधिनियम की धारा 139 की उप-धारा (1) के तहत प्रस्तुत किए जाने वाले रिटर्न को देने के लिए ऐसा करना आवश्यक होगा.
• इस प्रकार, अधिनियम की धारा 139 की उप-धारा (1) के तहत आय की वापसी के समय यह विकल्प ऐसे कर्मचारी द्वारा नियोक्ता को पिछले वर्ष के लिए दी गई सूचना से अलग हो सकता है.
• ऐसे किसी व्यक्ति के मामले में, जिसके पास "व्यवसाय या पेशे से प्राप्त आय और लाभ" के तहत आय है, इस अधिनियम की धारा 115BAC के तहत कराधान का वह विकल्प जो पिछले वर्ष के लिए आयकर की वापसी के दाखिल के समय एक बार प्रयोग किया जाता है, कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर, बाद के वर्षों के लिए अधिनियम की धारा 139 की उप धारा (1) के तहत बदला नहीं जा सकता.
नोट: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा इस संशोधन के साथ उपर्युक्त स्पष्टीकरण ऐसे व्यक्ति के लिए लागू होगा जोकि धारा 115BAC के तहत अपने मामले में नियोक्ता को सूचना देने के बाद अधिनियम के इस विकल्प को एक बार उपयोग करने के बाद आने वाले वर्षों के लिए नहीं छोड़ेगा.
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