हेमंत कुमार पांडे ने जीता DRDO का साइंटिस्ट ऑफ द ईयर का अवार्ड

Jan 2, 2021, 10:20 IST

डॉ. हेमंत कुमार पांडे ने पांच हर्बल उत्पादों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और सात पेटेंट दायर किए हैं, जिनमें से एक में ल्यूकोडर्मा उत्पाद शामिल है.

Hemant Kumar Pandey wins DRDO's Scientist of the Year award
Hemant Kumar Pandey wins DRDO's Scientist of the Year award

भारतीय वैज्ञानिक हेमंत कुमार पांडे को लोकप्रिय हर्बल लुकोस्किन सहित कई हर्बल दवाओं को विकसित करने में उनके योगदान के लिए DRDO के ''साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड '' से सम्मानित किया गया है.

इस पुरस्कार के साथ दिए गए उद्धरण में यह कहा गया है कि, यह पुरस्कार हर्बल औषधि अनुसंधान और विकास में उनके अमूल्य योगदान को मान्यता प्रदान करता है. इसमें कहा गया है कि, डॉ. हेमंत कुमार पांडे ने पांच हर्बल उत्पादों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और सात पेटेंट दायर किए हैं, जिनमें से एक में ल्यूकोडर्मा उत्पाद शामिल है.

नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा डॉ. पांडे को यह पुरस्कार प्रदान किया गया. इस पुरस्कार में 2 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और प्रमाणपत्र शामिल है.

मुख्य विशेषताएं

  • डॉ, पांडे को हर्बल चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए अतीत में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं.
  • वे पिछले 25 वर्षों से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की प्रयोगशाला और जैव-ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (DIBER) में अनुसंधान कर रहे हैं.
  • हालांकि उन्होंने अब तक छह हर्बल दवाओं का विकास किया है, लेकिन लुकोस्किन को सबसे अधिक सराहना मिली है और इसे बाजार में भी लोगों ने बहुत बड़ी मात्रा में खरीदा है.
  • लुकोस्किन के अलावा, पांडे ने एक्जिमा और दांत दर्द के इलाज के लिए दवाओं के साथ-साथ एक एंटी-रेडिएशन क्रीम भी विकसित की है.
  • इनमें से अधिकांश उत्पादों को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण (ToT) के बाद बाजार में बेचा जा रहा है.

लुकोस्किन क्या है?

लुकोस्किन का निर्माण हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली लगभग आठ जड़ी बूटियों से किया गया है. यह दवा सफेद पैच के इलाज में मदद करती है. इसका विपणन दिल्ली स्थित एमिल फार्मास्यूटिकल्स द्वारा किया जाता है.

प्रयोग

लुकोस्किन का उपयोग लुकोडर्मा या विटिलिगो के इलाज के लिए किया जाता है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा पर सफेद पैच उभर आते हैं.

लुकोडर्मा एक ऑटो-इम्यून (स्व-प्रतिरक्षित) विकार विकार है और इससे भारत में 5 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हैं. यह विकार संक्रामक या जानलेवा नहीं है. दुनिया भर की लगभग 1-2 प्रतिशत आबादी में यह विकार मौजूद है.

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