जापान के वैज्ञानिकों ने हाल ही में आकाशगंगा के केंद्र के पास एक विशालकाय ब्लैक होल की खोज की. आकाशगंगा मिल्की वे के मध्य में जहरीले गैसों से घिरे बादल के निकट वैज्ञानिकों ने सूर्य से एक लाख गुना बड़े ब्लैक होल की खोज की है.
जापान के कीओ विवि के खगोलविद टेलीस्कोप की मदद से एक बादल में गैसों का अध्ययन कर रहे थे. इसी दौरान इस ब्लैक होल का पता चला.
अध्ययन में मालूम हुआ कि मिल्की वे के मध्य से 200 प्रकाश वर्ष दूर और 150 खरब किलोमीटर चौड़े उस बादल के अणु गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उसके आसपास आकर्षित हैं और यहां करीब डेढ़ अरब किलोमीटर चौड़ा ब्लैक होल है.
वैज्ञानिकों को बादल के मध्य से निकलती रेडियो तरंगें भी मिलीं जिससे वहां ब्लैक होल के मौजूद होने की पुष्टि हुई. यह ब्लैक होल मिल्की वे में ‘सैगेटैरियस ए’ के बाद सबसे बड़ा और विशालकाय ब्लैक होल माना जा रहा है. इस अध्ययन को नेचर एस्ट्रोनॉमी के जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
ब्लैक होल:
ब्लैक होल ऐसी खगोलीय वस्तु होती है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता है। ब्लैक होल में एक-तरफी सतह होती है जिसे घटना क्षितिज कहा जाता है, जिसमें वस्तुएं गिर तो सकती हैं परन्तु बाहर कुछ भी नहीं आ सकता. इसे "ब्लैक" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और कुछ भी रिफ्लेक्ट (प्रतिबिंबित) नहीं करता.
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