हांगकांग में स्वतंत्रता समर्थक राजनीतिक दल को प्रतिबंधित किया गया

Sep 25, 2018, 15:40 IST

ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग चीन को सौंपा था. उसके बाद से यह पहला मौका है जब किसी राजनीतिक दल पर प्रतिबंध लगाया गया है.

Hong Kong bans pro-independence political party
Hong Kong bans pro-independence political party

हांगकांग प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा को आधार बताते हुए चीन से आजादी की समर्थक हांगकांग नेशनल पार्टी (एचएनपी) पर 24 सितंबर 2018 को प्रतिबंध लगा दिया है. हांगकांग के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी राजनीतिक दल पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया हो.

हांगकांग के सुरक्षा सचिव जॉन ली द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘दो वर्ष पुरानी हांगकांग नेशनल पार्टी किसी भी तरीके से हांगकांग की आजादी चाहती है. यह हांगकांग के संविधान जो चीन के साथ अपने संबंध को परिभाषित करता है, उसका उल्लंघन है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है.’

विदित हो कि ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग चीन को सौंपा था. उसके बाद से यह पहला मौका है जब किसी राजनीतिक दल पर प्रतिबंध लगाया गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच द्वारा हांगकांग पर लगाए गये इस प्रतिबंध को लोगों की स्वतंत्रता पर सरकार का प्रहार बताया है. मानव अधिकार समूहों का मानना है कि चीन द्वारा हांगकांग पर इस प्रकार दबाव बनाना गलत है.

हांगकांग प्रशासन द्वारा हांगकांग नेशनल पार्टी (एचएनपी) पर प्रतिबन्ध लगाए जाने के निम्नलिखित कारण बताए गये हैं:

•    एचएनपी का एजेंडा हांगकांग को एक अलग देश बनाना है, जो हांगकांग के संविधान से जुड़े मूल कानून का उल्लघंन है.

•    इस पार्टी ने स्कूल, कॉलेज में घुसपैठ कर चीन के खिलाफ नफरत और घृणा फैलाने की कोशिश की है.

•    इस दल पर राष्ट्रीय और सार्वजनिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था और लोगों के अधिकार और स्वतंत्रता के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रतिबन्ध लगाया गया है.

हांगकांग का विवादित इतिहास


हांगकांग लगभग 200 छोटे-बड़े द्वीपों का समूह है और इसका शाब्दिक अर्थ है सुगंधित बंदरगाह. ब्रिटेन ने चीन के साथ व्यापार करने में हांगकांग को एक व्यावसायिक बंदरगाह की तरह इस्तेमाल किया. वर्ष 1941 के बाद लगभग चार वर्ष तक इस पर जापान का अधिकार रहा, किन्तु 1945 ब्रिटेन और चीनी सेना ने मिलकर जापान को हरा दिया.

ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग की संप्रभुता कई शर्तों के साथ चीन को वापस सौंपी, जिसमे प्रमुख शर्त थी हांगकांग की पूँजीवादी व्यवस्था को बनाए रखना. चीन ने भी रक्षा व विदेश छोड़कर हांगकांग की प्रशासकीय व्यवस्था में हस्तक्षेप न करने का व पूँजीवादी व्यवस्था को आगामी 50 वर्षों तक न जस का तस रखने का आश्वासन दिया. लेकिन अब चीन अलग राह चुनता दिखाई दे रहा है जिसमें वह हांगकांग पर अधिक प्रभुत्व स्थापित करता जा रहा है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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