वित्त मंत्रालय ने यह बताया है कि, 11 वीं भारत-यूरोपीय संघ व्यापक आर्थिक वार्ता इस 19 फरवरी, 2021 को आयोजित की गई थी.
आर्थिक मामलों के सचिव, तरुण बजाज ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जबकि यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूरोपीय आयोग के आर्थिक और वित्तीय मामलों के महानिदेशक ने किया.
इस व्यापक आर्थिक वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल में राजस्व विभाग, आर्थिक मामलों के विभाग और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल थे.
वित्त मंत्रालय की एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंध एक बहुमुखी साझेदारी के तौर पर विकसित हुए हैं. यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार, सबसे बड़ा निवेशक और प्रौद्योगिकी, सर्वोत्तम क्रियाकलापों और नवाचार का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है.
11 वीं भारत और यूरोपीय संघ व्यापक आर्थिक वार्ता: प्रमुख विशेषताएं
• भारत और यूरोपीय संघ के बीच आयोजित हुई इस बातचीत में आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों सहित सुरक्षा, पर्यावरण, अनुसंधान और नवाचार, व्यापार और निवेश जैसे सभी आयाम शामिल थे.
• G20 फ्रेमवर्क वर्किंग ग्रुप डिलीवरेबल्स, वित्त ट्रैक मामलों पर G20 में सहयोग, ऋण से संबंधित मुद्दों, G20 एक्शन प्लान और डिजिटल अर्थव्यवस्था के अंतर्राष्ट्रीय कराधान सहित विभिन्न पहलुओं पर दोनों पक्षों को सक्षम बनाने के लिए, पारस्परिक अनुभवों को साझा करने से संबंधित मुद्दों को भी इस वार्ता में शामिल किया गया.
• वित्तीय/ संरचनात्मक सुधार प्राथमिकताओं सहित मध्यम अवधि की राजकोषीय रणनीति और राजकोषीय नीति प्रतिक्रिया पर भी इस वार्ता के दौरान चर्चा की गई.
• भारत ने इस बातचीत के दौरान कोविड -19 संकट पर अपनी नीतिगत प्रतिक्रिया साझा की. देश ने भारत सरकार द्वारा घोषित विभिन्न आर्थिक सहायता पैकेजों के साथ ही टीकाकरण से संबंधित प्रयासों सहित कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी बताया.
यूरोपीय संघ की आर्थिक चुनौतियां
यूरोपीय संघ की पुनर्निर्माण योजना और व्यापक आर्थिक नीति प्रतिक्रिया सहित यूरोपीय संघ के देशों में कोरोना वायरस महामारी के प्रतिकूल प्रभाव के कारण यूरोपीय संघ ने आर्थिक चुनौतियों के साथ-साथ अपनी अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण के बारे में भी जानकारी दी.
यह बैठक इस उम्मीद और योजना के साथ समाप्त हुई है कि, दोनों पक्ष द्विपक्षीय सहयोग के लिए विभिन्न समझौतों में शामिल होकर, अपने संबंधों को मजबूत करने में सक्षम होंगे जो भारत और यूरोपीय संघ के लिए पारस्परिक हितकारक होंगे.
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