सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने 5 अक्टूबर, 2020 को म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को रेमडेसिवीर की 3000 शीशियां (vials) प्रदान की, ताकि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत अपने मित्रवत पड़ोसी की मदद कर सके.
जनरल नरवणे और श्रृंगला दो दिन की यात्रा के लिए म्यांमार गये हैं, जिसका उद्देश्य रक्षा, संपर्क और सुरक्षा सहित कई क्षेत्रों में परस्पर संबंधों को बढ़ाना है. भारतीय दूतावास के अनुसार, विदेश सचिव और भारतीय सेना प्रमुख ने म्यांमार में भारत के राजदूत सौरभ कुमार के साथ मिलकर नुआपीटा में सू की से मुलाकात की, जिसके दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की.
मुख्य विशेषताएं
इन दोनों भारतीय अधिकारियों की यह यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यात्रा पूर्वी लद्दाख में चीन से भारतीय सेना के गतिरोध के साथ-साथ महामारी के कारण विदेशी यात्राओं पर प्रतिबंध के दौरान की जा रही है.
म्यांमार का यह दौरा 31 दिसंबर, 2019 को सेनाध्यक्ष के तौर पर अपना कार्यभार संभालने के बाद, किसी अन्य देश में नरवणे का पहला दौरा है.
श्रृंगला और नरवाना की यह यात्रा चार दिनों के बाद हुई जब भारत-म्यांमार विदेश कार्यालय परामर्श के एक ढांचे के तहत, इन दोनों देशों ने एक आभासी बैठक में कई क्षेत्रों में अपने संबंधों की विस्तृत समीक्षा की.
भारत-म्यांमार संबंध: एक झलक
म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है. यह मणिपुर और नागालैंड सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर लंबी भारतीय सीमा साझा करता है.
भारत और म्यांमार वर्ष 2021 की पहली तिमाही तक सिटवे पोर्ट के संचालन के लिए काम कर रहे हैं. यह मिज़ोरम के माध्यम से बंगाल की खाड़ी के साथ भारत के भूमि वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र को जोड़ेगा.
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग के तहत प्रस्तावित 69 पुलों के लिए निविदा प्रक्रिया भी जल्दी ही शुरू होगी.
पिछले कुछ वर्षों में, इन दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा क्षेत्र सहित रक्षा और सुरक्षा सहयोग में काफी वृद्धि की है.
भारत वर्ष 2012 में एक समझौते के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों को विकसित करने में म्यांमार की सहायता भी कर रहा है जिसके तहत भारत म्यांमार को 5 वर्षों की अवधि के लिए प्रत्येक वर्ष 05 मिलियन डॉलर प्रदान कर रहा है. इस एमओयू को पहले ही वर्ष 2022 तक बढ़ाया जा चुका है.
म्यांमार में विकास सहयोग के लिए भारत द्वारा 1.4 बिलियन डॉलर प्रदान करने का अनुमान है. ये दोनों देश ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ा रहे हैं.
भारत में म्यांमार का 1.2 बिलियन डॉलर से अधिक निवेश है जो अन्य किसी भी दक्षिण एशियाई देश से अधिक.
भारत ने हाल ही में श्वे ऑयल एंड गैस प्रोजेक्ट में 120 मिलियन डॉलर से अधिक के निवेश को भी मंजूरी दी है.
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