रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 07 सितम्बर 2020 को ओडिशा तट के पास डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया. डीआरडीओ ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इसमें देश में विकसित सक्रेमजेट प्रपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है.
डीआरडीओ ने स्क्रैमजेट प्रपल्सन सिस्टम के इस्तेमाल से हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डिमॉन्स्ट्रेटर वीइकल (एचएसटीडीवी) की टेस्टिंग की. खास बात यह है कि स्क्रैमजेट प्रपल्सन सिस्टम को देश में ही विकसित किया गया है. डीआरडीओ ने इस मिशन को ऐतिहासिक करार दिया है. रक्षा मंत्री राजनाथ ने ट्विटर पर बताया कि उन्होंने इस प्रॉजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें बधाई दी.
#WATCH DRDO‘s successful demonstration of the Hypersonic air-breathing scramjet technology with the flight test of Hypersonic Technology Demonstration Vehicle, at 1103 hours today from Dr. APJ Abdul Kalam Launch Complex at Wheeler Island, off the coast of Odisha pic.twitter.com/aC1phjusDH
— ANI (@ANI) September 7, 2020
एचएसटीडीवी क्या है?
एचएसटीडीवी का भविष्य में न केवल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने में इस्तेमाल होगा बल्कि इसकी मदद से काफी कम खर्चे में सैटेलाइट लॉन्चिंग की जा सकेगी. एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. स्क्रैमजेट के हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के सफल परीक्षण से भारत की रक्षा क्षमता आसमान और अंतरिक्ष दोनों में बढ़ेगी.
भारत ऐसा करने वाला चौथा देश
भारत 07 सितम्बर 2020 को अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा चौथा देश बन गया जिसके पास हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी है. ओडिशा के बालासोर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम टेस्टिंग रेंज से एचएसटीडीवी के सफल परीक्षण के बाद भारत ने वह तकनीक हासिल कर ली है जिससे मिसाइलों की स्पीड साउंड से छह गुना अधिक करने का रास्ता साफ हो गया है.
The @DRDO_India has today successfully flight tested the Hypersonic Technology Demontrator Vehicle using the indigenously developed scramjet propulsion system. With this success, all critical technologies are now established to progress to the next phase.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 7, 2020
उद्देश्य
यह हाइपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरने वाला मानव रहित स्क्रैमजेट सिस्टम है. इसकी रफ्तार ध्वनि की गति से 6 गुना अधिक है. इसके साथ ही ये आसमान में 20 सेकेंड में लगभग 32.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाता है. बता दें कि हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंट्रेटर व्हीकल यानी एचएसटीडीवी प्रोजेक्ट डीआरडीओ की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है. इसका उद्देश्य कई सैन्य और नागरिक लक्ष्यों को सेवाएं देना है. इससे पहले अमेरिका और रूस भी हाइपरसोनिक विमान का परीक्षण कर चुके हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation