भारतीय रेलवे ने 31 अगस्त 2017 अपने नेटवर्क के विस्तार और आधुनिकीकरण हेतु स्विट्ज़रलैंड के साथ तकनीकी एवं अन्य सहयोग लेने के दो करारों पर हस्ताक्षर किये. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और स्विट्ज़रलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लेथार्ड की हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय शिखर बैठक के बाद इन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए.
पहला समझौता ज्ञापन रेल मंत्रालय और स्विस परिसंघ के पर्यावरण, परिवहन और संचार के संघीय विभाग के मध्य रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिए हुआ.
इस समझौते ज्ञापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्विस परिसंघ की अध्यक्ष डोरिस लिउथार्ड की उपस्थिति में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनि लोहानी और भारत में स्विटजरलैंड के राजदूत डॉ. एंड्रियास बॉम ने हस्ताक्षर किए.
दूसरा समझौता ज्ञापन कोंकण रेलवे निगम लिमिटेड (केआरसीएल) और स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ईटीएच) के बीच हुआ है. इस समझौता ज्ञापन से सुरंग बनाने के क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त करने और उसके विस्तार के लिए गोवा में जॉर्ज फर्नांडीज इंस्टीट्यूट ऑफ टनल टेक्नोलॉजी (जीएफआईटीटी) की स्थापना करने में मदद मिलेगी.
दूसरा समझौता ज्ञापन कोंकण रेलवे निगम लिमिटेड (केआरसीएल) और स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ईटीएच) ज्यूरिख के बीच हुआ है.
जीएफआईटीटी का उद्देश्य केवल कोंकण रेलवे की सुरंग निर्माण परियोजनाओं के लिए अपनी श्रमबल को ही प्रशिक्षित करना नहीं है, बल्कि अन्य सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र और यहां तक कि विदेशी संगठनों के लाभ के लिए योग्य और प्रशिक्षित कर्मियों को तैयार करना भी है. इससे ज्ञान के स्तर और प्रशिक्षित कर्मियों के बीच में मौजूद व्यापक अंतर को पाटने करने में मदद मिलेगी. इससे देश में बुनियादी ढांचे के प्रमुख हिस्से के विकास के अपेक्षित कर्मी उपलब्ध होंगे.
रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु और स्विटजरलैंड के राजदूत के बीच रेल क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के बारे में जुलाई 2016 में हुई बैठक में बनी सहमति के अनुरूप यह करार हुआ है जिसके तहत ट्रैक्शन रोलिंग स्टॉक, ईएमयू एवं ट्रेन सेट, ट्रैक्शन प्रणोदन उपकरण, माल वैगन और यात्री कोच, टिल्टिंग ट्रेन, रेलवे विद्युतीकरण उपकरण, ट्रेन शेड्यूलिंग और ऑपरेशन सुधार, रेलवे स्टेशन आधुनिकीकरण, बहुआयामी परिवहन तथा सुरंग बनाने की तकनीक के क्षेत्रों में सहयोग किया जायेगा.
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