भारतीय नौसेना ने नौसेना के जवानों के लिए पहले स्वदेशी फ्लोटिंग डॉक एफडीएन-2 को लॉन्च कर दिया है. यह शिप बिल्डिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. डॉक के ट्रायल की सीरीज चलेगी, जिसके बाद इसे नौसेना को सौंप दिया जाएगा.
डॉक एफडीएन-2 के बारे में:
• फ्लोटिंग डॉक नौसेना के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये समुद्री पानी पर बना एक प्लैटफॉर्म है. इसके जरिए नौसेना के जहाजों को रिपेयर किया जाएगा साथ ही उनकी मेंटिनेंस का भी ध्यान रखा जाएगा.
• एलएंडटी शिपयार्ड ने इस एफडीएन-2 को डिजाइन किया और बनाया है. चेन्नई में की गई इसकी लॉन्चिंग सेरेमनी के बाद अब इसका ऑपरेशनल होगा.
• इसके बाद इसे अंडमान और निकोबार में तैनात नौसेना के जहाजों के टैक्निकल रिपेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए भेज दिया जाएगा.
• एफडीएन-2 में आधुनिक मशीनरी और सिस्टम लगे हैं, जिनसे 8000 टन डिस्प्लेसमेंट वाली वॉरशिप को डॉक करने की क्षमता होती है.
• डॉक कवर होने से इसे खराब मौसम में भी रिपेयर और रीफिट करने की क्षमता हासिल हैं.
• रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए वर्ष 2015 में ऑर्डर दिया था लेकिन ये तय समय से पहले लॉन्च हो गया हैं.
• इसके अलावा इसमें दिन और रात कभी भी डॉकिंग की जा सकती है. इसमे एक से ज्यादा जहाजों को भी डॉक किया जा सकता है.
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