भारतवंशी प्रोफेसर को निशा डी सिल्वा को कैंसर पर शोध हेतु एसओएआर अवार्ड प्रदान किया गया. पुरस्कार के तहत प्रोफेसर को 52.73 करोड़ रुपये (8.1 मिलियन डॉलर) अनुदान के रूप में प्रदान किए जाएंगे. यह राशि भविष्य में रोगियों को बेहतर बनाने और उनको स्वस्थ करने में खर्च की जाएगी.
भारतीय मूल की वैज्ञानिक निशा डी सिल्वा ने गले और सिर के जानलेवा कैंसर की रोकथाम हेतु शोध किया. उन्हें प्रतिष्ठित सस्टेनिंग आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट इन रिसर्च (एसओएआर) अवार्ड दिया गया है.
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भारतीय मूल की वैज्ञानिक निशा डी सिल्वा को यह राशि उस शोध हेतु प्रदान की गई जिसमें वह कैंसर मरीजों के जीवित रहने की दर में इजाफा करने पर काम कर रही हैं.
उद्देश्य-
भारतीय मूल की वैज्ञानिक निशा डी सिल्वा अमेरिका के मिशिगन विवि (यू-एम) में शोध कर रहीं हैं. निशा का लक्ष्य कैंसर का इलाज ढूंढ़ना है. अध्ययन के अनुसार उनके शोध में मिली जानकारियों के बाद कैंसर के इलाज के नए तरीके खोजे जा सकेंगे.
भारतीय मूल की वैज्ञानिक निशा डी सिल्वा के शोध से स्पष्ट होता है कि किस प्रकार से आण्विक मार्गों में गर्दन और सिर तक कैंसर के फैलने और उसकी पुनरावृत्ति को रोका जा सकता है.
मिशिगन विवि के स्कूल ऑफ डेंटिस्ट्री की लाउरी मैक कॉले के अनुसार डॉ डी. सिल्वा को मिली इस सहायता के बाद वह कैंसर से जुड़े गंभीर सवालों का जवाब तलाश पाएंगी' गले और सिर के कैंसर से प्रति वर्ष छह लाख नए मरीज ग्रसित होते हैं.
वर्षों इलाज के बावजूद इसके मरीजों में से आधे की जान चली जाती है.
एसओएआर-
एसओएआर उन शोधकर्ताओं को धनराशि उपलब्ध कराता है जिनके शोध का परिणाम प्रभावी रूप से अच्छा देखने को मिलता है. भारतीय मूल की वैज्ञानिक निशा डी सिल्वा अमेरिका में मिशिगन यूनिवर्सिटी (यू-एम) की चिकित्सक-वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं.
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उनकी रिसर्च के बाद आए परिणामों से वह यह पता लगाने में सक्षम हैं कि कौन सा कैंसर रोगी सही प्रतिक्रिया दिखा रहा है और किस रोगी के लिए उपचार की नीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता है.
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