G-20 और भारत: नेतृत्व और चुनौतियाँ
हाल ही में जी 20 शिखर सम्मेलन जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में संपन्न हुआ. भारत की और से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्मलेन में हिस्सा लिया और कई तरह के मुद्दों पे चर्चा की शुरुआत की. भारत ने अपने कई मुद्दे जैसे संरचनात्मक सुधारों, समावेशी विकास, तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को विश्वपटल पर रखा और अनेक देशों का समर्थन प्राप्त किया.
जी 20 शिखर सम्मेलन जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में संपन्न हुआ. भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्मलेन में हिस्सा लिया. इस सम्मेलन में कई तरह के मुद्दों पे चर्चा हुयी. इस सम्मेलन में, इस अन्तराष्ट्रीय संगठन ने भारत के संरचनात्मक सुधारों, समावेशी विकास, तथा भारत के वैश्विक अर्थव्यवस्था के समर्थन को स्वीकार किया.
जी 20 क्या है?
जी20 बीस देसों का एक संगठन है. यह एक अन्तराष्ट्रीय प्लेटफार्म है जो दुनिया के शीर्ष औद्योगिक तथा उभरती हुयी अर्थव्यवस्थाओ को एक साथ लाता है.
जी -20 के सभी देशों की कुल जीडीपी दुनिया की 85 प्रतिशत जीडीपी के बराबर है. और इसकी जनसँख्या विश्व की जनसँख्या की दो तिहाई है. जी 20 के दौरान अधिकतर समझौते अनौपचारिक तरीके से होते हैं. जी 20 का गठन 17 साल पहले हुवा. उस समय देशो के वित्त मत्री तथा केन्द्रीय बैंको के गवर्नर इस सम्मलेन में भाग लेने जाते थे.
जी20 का कोई स्थायी कर्मचारी नही हैं. इसकी अध्यक्षता प्रति वर्ष देशो के हिसाब से बदलती है. अध्यक्षता देशों को स्थानीय रूप से वर्गीकृत करके चयनित की जाती है. 2016 में, जी20 की अध्यक्षता, चीन ने की थी तथा इस वर्ष अध्यक्षता जर्मनी को मिली. तथा अगले साल भारत जी 20 की अध्यक्षता करेगा.
2009 में, यूके ने गॉर्डोन ब्राउन के नेतृत्व में एक विशेष शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की जिसमे वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर का अनुदान दिया गया था.
जी 20 और भारत
जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कई मुद्दे उठाए. उन्होंने भारत सरकार द्वारा उठाये गए हाल के कदमो का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा किआ गया विमुद्रीकरण भ्रष्टाचार के लिए एक बड़ा आघात था इसके अलावा इसकी वजह से भारत की अर्थव्यवस्था डिजिटलीकरण की ओर काफी तेजी से अग्रसर हुयी है. जी20 की पृष्भूमि में BRICS देशो को संबोधित करते हुए जीएसटी के बारे में भी चर्चा की.
जी20 द्वारा शामिल किये गए कुछ मुख्य बिंदु निम्नवत हैं:
1) भारत ने व्युत्पन्न उपकरणों की लोकप्रियता के लिए काफी अच्छा कार्य किया है.
2) अन्तराष्ट्रीय संकाय ने यह माना कि भारत ने श्रम सुधार, महिलाओं के श्रम में योगदान तथा श्रमिको की सुरक्ष्य के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किआ है.
3) भारत ने बाह्य ऋण के क्षेत्र में काफी परिवर्तनात्मक कार्य किये हैं.
भारत सरकार ने जी20 से अपनी निम्न अपेक्ष्याएं व्यक्त की:
1) भारत-कौशल विकास से जुड़े मसलो पर हिस्सेदारी चाहता है.
2) भारत जनशक्ति गतिशीलता को बढ़ावा देना चाहता है.
3) भारत डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना चाहता है.
जी :20 के सामने चुनौतियां
1. जलवायु परिवर्तन
राष्ट्रपति ट्रंप इससे पहले कह चुके हैं कि वो अमरीका के कोयला उद्योग को पुनर्जीवित करेंगे. ट्रंप ने ये भी कहा था कि पेरिस समझौते में अमरीकी हितों की अनदेखी की गई थी. हालांकि जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नेता इस बात पर सहमत हुए हैं कि ये समझौता बदला नहीं जा सकता है.
2. आतंकवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तामन को घेरा है। पाकिस्तान का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दक्षिण एशिया में एक देश आतंकवाद को फैला रहा है। उन्होंरने कहा, “हिंसा और आतंकवाद की बढ़ती ताकत ने चुनौती खड़ी कर दी है। कुछ देश हैं जो इसे राष्ट्री।य नीति के रूप में इस्तेिमाल कर रहे हैं। वास्तनव में, दक्षिण एशिया में एक ही देश है जो हमारे क्षेत्र के देशों में आतंक फैला रहा है। आतंकी, आतंकी होता है। आतंकवाद के समर्थन करने वालों को अलग किया जाए और उन पर प्रतिबंध लगाए जाए। मैं अंतरराष्ट्री य समुदाय से अपील करता हूं कि एक होकर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की जाए। आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति है, क्योंूकि इससे कम हमें कुछ भी पर्याप्त नहीं है।”
3. वैश्विक उत्पादकता
विगत दशक के पर्यवेक्षण से यह सामने आया है कि वैश्विक रूप से औद्योगिक उत्पादकता में एक महत्वपूर्ण गिरावट आयी है. विकसित और विकासशील दोनों देशों में निर्माण क्षेत्र में वेतन में बहुत समय से कोई वृद्धि नहीं हुयी है.
इसके साथ साथ, कृत्रिम बुद्दिमत्ता तथा स्वचालित यंत्रो के क्षेत्र में काफी तकनीकी विकास तथा नवीनीकरण हुआ है. यह नवीनीकरण दुनिया में निर्माण की प्रक्रिया को नया स्वरुप दे रहे हैं. इसके आय की गतिशीलता पर प्रभाव को एक अन्तराष्ट्रीय जांच की जरूरत है.
भारत, चीन, ब्राज़ील, तुर्की जैसे उभरती अर्थव्यवस्थाओ के लिए उत्पादकता, तथा रोजगार निर्माण से सम्बंधित संरचनात्मक समस्याओं के समाधान हेतु कोई लघु उपाय नहीं हैं. इसके लिए यूरोपियन देशो,कनाडा तथा अमेरिका का सहयोग जरूरी है. जी20 द्वारा ऐसी समस्याओं के समाधान हेतु एक अच्छा प्लेटफार्म दिया जाता है.
4. विभेदक कराधान के सहयोग में कमी
इस क्षेत्र में, जी-20 देशों ने विगत वर्षों में काफी उन्नति की है परन्तु अब भी बेमेल कर प्रणाली जो वैश्विक कैपिटल के संचार में तथा ब्याज के दरो में प्रभाव डालता है, को सही करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है. बेमेल कर प्रणाली बड़ी कंपनियों को ऐसे बाजारों में धन निवश करने के लिए प्रेरित करती है. जिससे बाजार में विसंगति पैदा होती है. कैपिटल के जरूरत के संतुलित होने के लिए अन्तराष्ट्रीय कर नीतियों का आपस में सहयोगी होना महत्वपूर्ण है. जी 20 जैसा संगठन इस क्षेत्र के सहयोग के लिए सफलतापूर्वक सोच विचार कर सकता है.
5. भ्रष्टाचार
जर्मनी की अध्यक्षता में, जी 20 ने सार्वजनिक क्षेत्र में अखंडता तथा भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सुलभ तरीको को विकसित करने पर भी जोर दिया. इसमें वन्यजीवो की तस्करी के मसले भी शामिल हैं. दुनिया में बढ़ाते भ्रष्टाचार की घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु जी 20 देशो की सरकारें सार्वजानिक क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए एकजुट होकर कार्य करेंगी.
6. अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग को बढ़ाना
इस जी 20 शिखर सम्मलेन ने अपने अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा दिया. सम्मलेन ने यह साफ़ किया कि निवेश तथा आधारिक संरंचना के लिए जरूरी माहौल तैयार किया जायेगा.
निष्कर्ष
यह शिखर सम्मलेन वित्तीय स्थिरता के मुद्दों जैसे ऋण, पारदर्शिता, तथा कर में कुछ प्रगति के साथ संपन्न हुआ. यह इंगित करता है की जी 20 देशो के द्वारा कर चोरी, भ्रष्टाचार, तथा करों के मामले में कदम उठाये जायेंगे.इन मामलो में सामान्य वादों की अपेक्षा विशेष करवाई की जरूरत है.
यह विकासशील देशों के लिए जरूरी है जिन्हें उपरोक्त मामलो की वजह से $1.0 ट्रिलियन की क्षति उठानी पढ़ती है. इस शिखर सम्मलेन में उठाये गए मुद्दे, जिनका हमने इस लेख में विस्तृत ब्यौरा दिया है, सभी महत्वपूर्ण तथा स्वागत योग्य हैं.
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