आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी दो सप्ताह में जांच पूरी करे, अंतरिम सीबीआई प्रमुख कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते: सुप्रीम कोर्ट

Oct 27, 2018, 10:07 IST

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव की नियुक्ति पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि वे कोई नीतिगत फैसला नहीं कर सकते हैं. वे सिर्फ रूटीन कामकाज ही देखेंगे.

Interim CBI chief cannot take any policy decisions: Supreme Court on CBI feud
Interim CBI chief cannot take any policy decisions: Supreme Court on CBI feud

उच्चतम न्यायालय ने 26 अक्टूबर 2018 को केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को निर्देश दिया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच दो सप्ताह के भीतर पूरी की जाये. यह जांच उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक की निगरानी में होगी.

नवनियुक्‍त सीबीआई निदेशक राव नीतिगत फैसला नहीं लेंगे:

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव की नियुक्ति पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि वे कोई नीतिगत फैसला नहीं कर सकते हैं. वे सिर्फ रूटीन कामकाज ही देखेंगे. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि 23 अक्टूबर से नागेश्वर राव द्वारा लिये गये निर्णय लागू नहीं होंगे. नागेश्वर राव ने 23 अक्टूबर 2018 से अभी तक जो भी फैसले लिए हैं उन सभी को सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपने को कहा है.

न्यायालय में चुनौती:

आलोक वर्मा ने ब्यूरो निदेशक के अधिकार उनसे वापस लेने, उन्हें अवकाश पर भेजने और ब्यूरो प्रमुख की जिम्मेदारी संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सौंपने के आदेश को न्यायालय में चुनौती दी है. सभी अधिकारों से वंचित करने के साथ ही छुट्टी पर भेजे गये विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने भी न्यायालय में अलग से याचिका दायर की है.

                             एके पटनायक:

एके पटनायक अब सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के ख़िलाफ़ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने वाली कमेटी के मुखिया होंगे. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में स्नातक और कटक से क़ानून की पढ़ाई की.

वे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक का जन्म 3 जून 1949 को हुआ था. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक वर्ष 1974 में ओडिशा बार एसोसिशन के सदस्य बने थे.

वकालत शुरू करने के करीब 20 साल बाद वर्ष 1994 में वे ओडिशा हाईकोर्ट के अतिरिक्त सेशन जज बने. लेकिन जल्द ही उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट भेज दिया गया जहां अगले ही वर्ष वो हाईकोर्ट के स्थायी जज बन गए.

मार्च 2005 में जस्टिस पटनायक छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए. इसी वर्ष अक्टूबर में वे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए.

उन्हें नवंबर 2009 में सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था. वर्ष 2014 में रिटायरमेंट के बाद जस्टिस पटनायक को ओडिशा राज्‍य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा गया था लेकिन उन्होंने मना कर दिया.

जस्टिस पटनायक उस बेंच में भी शामिल थे, जिसने ये फ़ैसला दिया था कि कोई विधायक या सांसद अगर आपराधिक मामले में दोषी करार दिया जाता है तो वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेगा.

नोटिस जारी:

पीठ ने आलेक वर्मा की याचिका पर केन्द्र और केन्द्रीय सतर्कत आयोग को नोटिस जारी किये. पीठ ने अस्थाना सहित जांच ब्यूरो के अधिकारियों के खिलाफ विशेष जांच दल से जांच कराने के लिये गैर सरकारी संगठन कामन काज और राकेश अस्थाना की याचिका पर भी विचार किया. न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन की याचिका पर केन्द्र, सीबीआई, सीवीसी, अस्थाना, वर्मा और राव को नोटिस जारी किये. इन सभी को 12 नवंबर तक नोटिस के जवाब देने हैं. अगली सुनवाई 12 नवंबर 2018 को होगी. जांच की रिपोर्ट देखने के बाद आगे कोई फैसला लिया जाएगा.

 

मामला क्या है?

गौरतलब है कि एजेंसी ने राकेश अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में 21 अक्टूबर 2018 को एफआईआर दर्ज की थी. कुरैशी धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है. अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी.

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया. राकेश अस्थाना की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. घूसखोरी के मामले में एफआईआर के बाद अब सीबीआई ने अस्थाना पर फर्जीवाड़े और जबरन वसूली का मामला भी दर्ज किया है.

सीबीआई ने अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया है. सीबीआइ द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने याचिका में सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छु्ट्टी पर भेज दिया और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया.

         केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के बारे में:

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है. यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिये लगायी जाती है. यह कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधीन कार्य करती है. केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो की उत्‍पत्ति भारत सरकार द्वारा वर्ष 1941 में स्‍थापित विशेष पुलिस प्रतिष्‍ठान से हुई है.

केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के बारे में:

भारत का केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भारत सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों से सम्बन्धित भ्रष्टाचार नियंत्रण की सर्वोच्च संस्था है. इसकी स्थापना वर्ष 1964 में की गयी थी. इस आयोग के गठन की सिफारिश संथानम समिति (1962-64) द्वारा की गयी थी जिसे भ्रष्टाचार रोकने से सम्बन्धित सुझाव देने के लिए गठित किया गया था. केन्द्रीय सतर्कता आयोग किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियन्त्रण से मुक्त है तथा केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है. यह केन्द्रीय सरकारी संगठनो मे विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने मे सलाह देता है.

केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक संसद के दोनो सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पारित किया गया जिसे राष्ट्रपति ने 11 सितम्बर 2003 को स्वीकृति दी. आयोग में एक अध्यक्ष और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है. इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता व केन्द्रीय गृहमंत्री होते हैं. इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो), तक होता है. अवकाश प्राप्ति के बाद आयोग के ये पदाधिकारी केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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