Chandrayaan-2 ने चंद्रमा पर क्रेटर की तस्वीर खींची, इसरो ने विक्रम साराभाई का नाम दिया

Aug 17, 2020, 17:43 IST

चंद्रमा पर 'साराभाई क्रेटर' आघात से बना क्रेटर है. यह चंद्रमा के उत्तर पूर्वी क्वाड्रेंट में मारे सेरेनेटैटिस में स्थित है.

ISRO names a crater on Moon after Vikram Sarabhai in Hindi
ISRO names a crater on Moon after Vikram Sarabhai in Hindi

चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) ने चंद्रमा के गड्ढों (क्रेटर) की तस्वीर ली हैं और उसके एक क्रेटर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि साराभाई का जन्म शताब्दी वर्ष 12 अगस्त को पूरा हुआ और यह वैज्ञानिक को श्रद्धांजलि है.

राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो की हालिया उपलब्धियां साराभाई की दूरदृष्टि को साकार कर रही हैं. इसरो ने भारत को दुनिया के अग्रिम पंक्ति के देशों में खड़ा कर दिया है. अंतरिक्ष विभाग, प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन आता है.

राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह घोषणा करके कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने साराभाई क्रेटर की तस्वीर कैद की है, एक तरह से विक्रम साराभाई को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की है. साराभाई क्रेटर उस क्रेटर से पूर्व में करीब 250 से 300 किलोमीटर दूर है, जहां अपोलो 17 और लूना 21 मिशन उतरे थे.

साराभाई क्रेटर के बारे में

चंद्रमा पर 'साराभाई क्रेटर' आघात से बना क्रेटर है. यह चंद्रमा के उत्तर पूर्वी क्वाड्रेंट में मारे सेरेनेटैटिस में स्थित है. इस क्रेटर का आकार है 7.38 किलोमीटर है और यह लगभग वृत्ताकार है.

इसकी शक्ल एक कटोरे जैसी है. चंद्रयान-2 के टीएमसी कैमरे-2 से ली गई तस्वीरों के डिजिटल एलिवेशन मॉडल और 3D यू के आधार पर यह पता चलता है कि इस क्रेटर की औसत गहराई इसके ऊपरी छोर से 1.7 किलोमीटर है.

क्रेटर की दीवारें 25 डिग्री से 30 डिग्री की ढलान लिए हुए है. इसके आसपास के इलाके में 100 किमी के भीतर कोई बड़े क्रेटर नहीं है. साराभाई क्रेटर के पास विशाल लावा मैदान है. इस क्रेटर से लगभग 250 से 300 किमी पूर्व में नासा के अपोल-17 और रूस के लूना-21 अभियानों का लैंडिंग स्थल है.

 पृष्ठभूमि

गौरतलब है कि इसरो ने चंद्रयान-2 के लैंडर का नाम भी विक्रम साराभाई के नाम पर 'विक्रम' रखा था. गौरतलब है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के उद्देश्य से चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था. हालांकि इसके लैंडर विक्रम की सात सितंबर को चांद की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी. जिसकी वजह से पहले ही प्रयास में सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बनने का भारत का सपना टूट गया था.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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