जहाजरानी मंत्रालय ने 26 सितम्बर 2017 को कांडला पोर्ट ट्रस्ट का नाम बदलकर दीन दयाल पोर्ट ट्रस्ट करने से संबंधित आदेश जारी किया. नया नाम तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है.
भारत के गुजरात प्रान्त में कच्छ जिले में स्थित कांडला पोर्ट ट्रस्ट देश के 12 सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक है. मंत्रालय के आदेशानुसार, केंद्रीय सरकार ने भारतीय पोर्ट अधिनियम-1908 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों के आधार पर कांडला पोर्ट ट्रस्ट का नाम संशोधित कर दीन दयाल पोर्ट ट्रस्ट किया है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर कांडला पोर्ट का नाम बदला गया है.
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कांडला पोर्ट पर विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ करते हुए मई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सुझाव दिया था कि कांडला पोर्ट का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय पोर्ट कर देना चाहिए. केंद्र सरकार ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्म के शताब्दी वर्ष में पूरे वर्ष जन्मशती समारोह मनाने की घोषणा की थी.
कांडला पोर्ट के बारे में:
कंडला पोर्ट भारत के गुजरात प्रान्त में कच्छ जिले में स्थित देश का सबसे बड़ा बंदरगाह है. आयात-निर्यात से पूरे विश्व के साथ जुड़ा हुआ है. कंडला बंदरगाह का प्रशासन कंडला पोर्ट ट्रस्ट के हाथ में है जिसका पूरा नियंत्रण भारत सरकार के जहाजरानी मंत्रालय के हाथ है.
यह पोर्ट भारत का सबसे पहला मुक्त व्यापार क्षेत्र है. कांडला पोर्ट एक ज्वारीय पतन है एवं इसका पोताश्रय प्राकृतिक है. इस पोर्ट का निर्माण वर्ष 1930 में कच्छ राज्य के लिए किया गया था. तब यहां एक जेट्टी थी, जिसमें साधारण आकार का केवल एक जहाज़ ठहर सकता था.
भारत और पाकिस्तान के बटवारे के बाद देश का प्रमुख कराची पोर्ट पाकिस्तान में चला गया था. जिसकी कमी पूरी करने हेतु वर्ष 1950 में पश्चिम भारत में अरबी समुद्र के कच्छ के अखात के तट पर कंडला पोर्ट की स्थापना की गई थी.
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इस पोर्ट में 1,600 किलोमीटर दूरी तक के समाचार प्राप्त करने और भेजने वाला यंत्र और उन्नत रडार यन्त्र भी लगाया गया है. कांडला पोर्ट से प्रतिवर्ष 70,00 मिलियन टन से भी ज्यादा कार्गो हेन्डल किया जाता है. कांडला पोर्ट ट्रस्ट का संचालन भारत सरकार के शिपिंग मंत्रालय के द्वारा होता है. केंद्र सरकार द्वारा अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है.
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