महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग क्षेत्र को किया गया जैव विविधता विरासत स्थल घोषित

Apr 6, 2021, 15:53 IST

महाराष्ट्र सरकार ने सिंधुदुर्ग जिले में पश्चिमी घाट के अंबोली में एक क्षेत्र को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया है. यह वह क्षेत्र है जहां एक दुर्लभ मीठे पानी की मछली प्रजातियों की खोज की गई थी.

Maharashtra's Sindhudurg area named Biodiversity Heritage Site
Maharashtra's Sindhudurg area named Biodiversity Heritage Site

महाराष्ट्र सरकार ने 31 मार्च, 2021 को पश्चिमी घाट के सिंधुदुर्ग जिले के अंबोली में एक क्षेत्र को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया है. इस क्षेत्र में एक दुर्लभ मीठे पानी की मछली प्रजातियों की खोज की गई थी.

सिंधुदुर्ग जिले की सावंतवाड़ी तहसील में अंबोली के पास शिस्टुरा हिरण्यकेशी नाम की नई मीठे पानी की मछली की प्रजाति की खोज की गई थी. यह वन्यजीव शोधकर्ता तेजस ठाकरे के नेतृत्व में एक टीम द्वारा पाया गया, जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का बेटा भी है.

मीठे पानी की मछली प्रजातियों की खोज एक्वा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इचथोलॉजी में अक्टूबर, 2020 के संस्करण में तेजस ठाकरे और सह-लेखकों द्वारा प्रकाशित की गई थी.

महत्व

जैव विविधता अधिनियम, 2002 के तहत राज्य सरकार ने अंबोली को  संरक्षित जैव विविधता विरासत स्थल में शामिल करने के लिए एक अधिसूचना जारी की है.

यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि यह एक दुर्लभ प्रजाति है और मछली पकड़ने की गतिविधियों के कारण इसके विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो सकता है. इस सरकारी अधिसूचना में यह उल्लिखित किया गया है कि, मछली की इन प्रजातियों को संरक्षित करना बहुत जरुरी था.

शिस्टुरा हिरण्यकेशी क्या है?

शिस्टुरा हिरण्यकेशी शिस्टुरा की एक दुर्लभ उप-प्रजाति है, जो एक छोटी मीठे पानी की मछली है. इस मछली का नाम अंबोली गांव के पास हिरण्यकेशी नदी के नाम पर रखा गया है.

शिस्टुरा एक छोटी और रंगीन मछली है जो मीठे पानी और जल-धाराओं में निवास करती है जिसमें ऑक्सीजन की प्रचुरता होती है.

मुख्य विवरण

• शिस्टुरा हिरण्यकशी को पहली बार पश्चिमी घाट के अंबोली स्थित महादेव मंदिर के एक तालाब में देखा गया था.
• इस 2.11 हेक्टर क्षेत्र को अब ‘शिस्टुरा हिरण्यकेशी जैविक विरासत स्थल’ के तौर पर घोषित किया गया है. यह महाराष्ट्र राज्य में 5 वां ऐसा विरासत स्थल बन गया है.
• इस विरासत स्थल में देवी पार्वती का मंदिर है, जोकि वह स्थल है जहां से हिरण्यकेशी नदी का उद्गम होता है.

पृष्ठभूमि

इससे पहले, राज्य सरकार ने गढ़चिरौली जिले में अल्लापल्ली की महिमा, पुणे में गणेश खिंड, सिंधुदुर्ग जिले में मिरिस्टिका दलदल वनस्पति और जलगांव में लैंडोर खोरी पार्क को जैव विविधता विरासत स्थलों के तौर पर घोषित किया था.

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