22 जून, 2021 को मलेशिया, इंडोनेशिया को पछाड़कर वर्ष, 2020-21 में भारत का सबसे बड़ा क्रूड पाम ऑयल (CPO) निर्यातक बन गया है. पिछले साल इंडोनेशिया ने इस खाद्य तेल के निर्यात पर भारी कर लगाया था.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय वनस्पति तेल रिफाइनर्स और व्यापारियों का एक व्यापार निकाय, भारत में मलेशिया का पाम ऑयल निर्यात वर्ष, 2020-21 के पहले सात महीनों में 238 प्रतिशत बढ़कर 2.42 मिलियन टन हो गया. यह विपणन वर्ष 01 नवंबर से शुरू हुआ.
इसी अवधि के दौरान, भारत में इंडोनेशिया का पाम ऑयल शिपमेंट 32 प्रतिशत गिरकर 20 लाख टन रह गया.
भारत के सबसे बड़े क्रूड पाम ऑयल (CPO) निर्यातक के तौर पर मलेशिया ने इंडोनेशिया को कैसे पीछे छोड़ा?
• दिसंबर, 2020 में इंडोनेशिया ने अपने पाम बेस्ड बायोडीजल कार्यक्रम के लिए धन जुटाने और खाद्य तेल के घरेलू उपयोग को अधिकतम करने के लिए खाद्य तेल के निर्यात पर भारी कर लगाया था.
• व्यापार अधिकारियों के अनुसार, इंडोनेशिया का निर्यात शुल्क लगातार पांच महीनों से अपने उच्चतम स्तर पर है.
• मलेशियाई प्लांटर्स इंडोनेशियाई निर्यात लेवी से लाभान्वित हो रहे हैं. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने यह कहा है कि, इंडोनेशियाई पाम ऑयल की आपूर्ति पर छूट की पेशकश करके उन्होंने यह बाजार हिस्सेदारी हासिल की है.
निर्यात शुल्क का महत्व
• तुलनात्मक रूप से, जून, 2021 के निर्यात शुल्क में इंडोनेशिया ने पाम ऑयल शिपमेंट पर 438 डॉलर प्रति टन का शुल्क लगाया जबकि मलेशिया ने 90 डॉलर प्रति टन का शुल्क लिया.
• विशेषज्ञों के अनुसार, निर्यात शुल्क में इस बड़े अंतर ने मलेशियाई निर्यातकों को स्वस्थ मार्जिन बनाए रखने के बाद भी, पर्याप्त छूट पर पाम ऑयल की पेशकश करने में मदद की.
अगर इंडोनेशिया निर्यात करों में कटौती करता है तो क्या होगा?
• ऐसी खबरें हैं कि, इंडोनेशिया निर्यात करों में कटौती करेगा और भारत में मलेशिया के बढ़ते शिपमेंट को भी जल्द ही सीमित कर दिया जाएगा. इंडोनेशिया के वित्त मंत्री मुल्यानी इंद्रावती ने 21 जून को यह कहा कि, सरकार क्रूड पाम ऑयल (CPO) लेवी के लिए सीलिंग रेट को 255 डॉलर से घटाकर 175 डॉलर प्रति टन कर देगी.
• विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि, पिछले दो हफ्तों में 25 प्रतिशत से अधिक तेज गिरावट और इंडोनेशिया द्वारा तेल शुल्क कम करने पर विचार-विमर्श करने के साथ ही, इंडोनेशिया अपनी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर सकता है.
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