भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मंगलयान (Mars Orbiter Mission) ने मंगल ग्रह के नजदीकी और सबसे बड़े चंद्रमा फोबोस की तस्वीर भेजी है. मंगलयान पर लगे मार्स कलर कैमरा ने यह तस्वीर कैद की है. मार्स कलर कैमरा ने यह तस्वीर एक जुलाई को उस समय कैद की थी, जब मंगलयान मंगल ग्रह से 7,200 किलोमीटर और फोबोस से 4,200 किलोमीटर दूर था.
इसरो ने कहा कि यह 6 मार्स कलर कैमरा फ्रेस से ली गई यह एक समग्र तस्वीर है और उसके कलर को सही किया गया है. इसरो के अनुसार, फोबोस पर एक बहुत बड़ा गड्ढा नजर आ रहा है, जिसे स्टिकनी नाम दिया गया है. यह बहुत पहले फोबोस से आकाशीय पिंडों के टकराने से बना होगा. इसके अलावा भी कई छोटे-छोटे गढ्डे इस तस्वीर में नजर आ रहे हैं. इनका नाम स्लोवास्की, रोश और ग्रिलड्रिग रखा गया है.
मिशन में आई लागत 450 करोड़ रुपये
इसरो ने 05 नवंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट (PSLV rocket) के जरिए यह प्रक्षेपण किया था. इसमें 450 करोड़ रुपये लागत आई थी. इस मिशन का उद्देश्य मंगल की सतह और वहां खनिजों की संरचना का अध्ययन करना है. यही नहीं इसका उद्देश्य वहां के वायुमंडल में मिथेन की मौजूदगी के बारे में पड़ताल करना भी है. मंगल पर मिथेन की मौजूदगी जीवन की ओर संकेत करती है.
A recent image of the mysterious moon of Mars, Phobos, as captured by India's Mars Orbiter Mission
— ISRO (@isro) July 3, 2020
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मिशन का उद्देश्य
इसरो ने 24 सितबंर 2014 को मार्स ऑर्बिटर मिशन के तहत मंगलयान को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था. इस मिशन का उद्देश्य शुरू में छह महीने के लिए था लेकिन बाद में इसरो ने कहा कि कई वर्षों तक सेवा देने के लिए इसमें पर्याप्त मात्रा में ईंधन मौजूद है. मालूम हो कि इसरो ने मंगलयान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था.
पांच वैज्ञानिक उपकरण
मार्स ऑर्बिटर में पांच वैज्ञानिक उपकरण- लाइमन अल्फा फोटोमीटर, मीथेन सेंसर फॉर मार्स, मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर, मार्स कलर कैमरा और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर हैं.
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