भारत के कोयला मंत्रालय ने केंद्र सरकार द्वारा आवंटित की गई कोयला खदानों के शीघ्र परिचालन को सुगम बनाने के लिए हाल ही में एक परियोजना निगरानी इकाई शुरू की गई है. इस इकाई को शुरू करने का लक्ष्य ज्यादा बोली दाताओं को आकर्षित करना है.
मुख्य विशेषताएं
परियोजना निगरानी इकाई कारोबार को सुगम बनाने की सुविधा प्रदान करेगी क्योंकि इससे खदानों के परिचालन के लिये समय पर मंजूरी प्राप्त करने में कोयला खदानों को सहायता मिलेगी. यह इकाई खदानों के संचालन के लिए राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों से मंजूरी प्राप्त करने में खदानों की सहायता भी करेगी. इकाई देश में कोयले के उत्पादन और कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने में मदद करेगी.
व्यापार करने में आसानी
विश्व बैंक द्वारा व्यापार करने में आसानी के संबंध में जारी रैंकिंग में भारत का 63वां स्थान है. वर्ष 2019 की रैंकिंग भारत शीर्ष 10 सुधारक देशों में से एक था. यह इकाई भारत में ज्यादा सुधार लाने में सहायता करेगी और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को भी बढ़ावा देगी.
भारत में कोयले का उत्पादन
भारत के पास विश्व में 5वें स्थान पर सबसे विशाल कोयला भंडार हैं. भारत में कोयला उत्पादन करने वाले पर्मुख राज्य हैं – ओडिशा, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना.
कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण और विराष्ट्रीयकरण
भारत में कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण दो चरणों में किया गया था. कोकिंग कोल खानों के प्रबंधन के लिए कोकिंग कोल माइंस (आपातकालीन प्रावधान) अधिनियम, 1971 के तहत वर्ष 1971 में राष्ट्रीयकरण का पहला चरण संपन्न हुआ था. टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड और इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड का राष्ट्रीयकरण किया गया और उन्हें बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के अधीन कर दिया गया.
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत कोयला खदानों का विराष्ट्रीयकरण किया गया. देश के कानून ने निजी क्षेत्र को कोयला खनन की अनुमति दे दी है.
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