एशिया का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट मध्यप्रदेश के रीवा शहर में स्थापित किया जाएगा. इसके लिए तीन प्राइवेट कंपनियों मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पारेशन के बीच पावर परचेस एग्रीमेंट (पीपीए) पर 17 अप्रैल 2017 को भोपाल में हस्ताक्षर किए गए. कार्यक्रम में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू, नवीन-नवकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल शामिल हुए.
समझौता के मुख्य तथ्य-
- अल्ट्रा मेगा पॉवर प्लांट की क्षमता 750 मेगॉवॉट होगी.
- अल्ट्रा मेगा पॉवर प्लांट से आगामी वर्ष अक्टूबर 2018 तक बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।.
- प्लांट से 76 फीसदी बिजली मध्य प्रदेश को और 24 फीसदी दिल्ली मेट्रो को आवंटित की जाएगी.
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू के अनुसार काम करने के तीन सूत्र हैं. जिनमे रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्महैं. मध्यप्रदेश कभी गरीब प्रदेश के रूप में जाना जाता था, इसकी तरक्की दूसरे राज्यों के लिए एक उदाहरण है.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार केंद्र सरकार भी अब इस मॉडल को अपनाकर देश के बाकी राज्यों में लगने वाले सोलर प्लांट में उपयोग करेगी.
समझौता के बारे में-
- रीवा के इस अल्ट्रा मेगा पॉवर प्लांट हेतु तीन निजी कंपनियों महिंद्रा रिन्यूएवल्स प्रा.लि. मुंबई, एक्मे सोलर होल्डिंग्स प्रा.लि. गुडग़ांव और सोलेनर्जी पॉवर प्रा.लि. पोर्ट लुईस मॉरिशस के साथ पॉवर परचेस समझौता हुआ.
- तीनों कंपनियों अपने अपने हिस्से की 250-250 मेगावाट की इकाइयां स्थापित करेंगी.
परियोजना के बारे में -
- रीवा परियोजना के लिए फरवरी 2017 में ऑनलाइन नीलामी की गई,जिसमें छह अंतरराष्ट्रीय और 14 राष्ट्रीय कंपनियों ने भागीदारी की.
- जापान के सॉफ्ट बैंक, फ्रांस इनजी और इटली की एनेल कंपनियों ने भी हिस्सा लिया.
- रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड प्रबंधन का दावा है कि परियोजना में अब तक की सबसे सस्ती सोलर बिजली 2.97 रुपए प्रति यूनिट प्रदान की जाएगी.
एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट-
- मध्य प्रदेश के ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष विजेंद्र सिहं ससोदिया के अनुसार इस परियोजना से मप्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी.
- एशिया में यह सबसे बड़ा सोलर प्लांट है, इससे विद्युत वितरण कंपनियों/पॉवर मैनेजमेंट कंपनी को परियोजना अवधि में 4700 करोड़ की बचत होगी.
- परियोजना पर 4000 करोड़ का निवेश किया जाएगा.
- इस पीपीए हेतु ऑनलाइन बोली में 14 नेशनल और 6 इंटरनेश्नल कंपनियों ने भाग लिया.
- बिजली की ड्रोन में प्रत्येक साल 5 पैसे प्रति यूनिट की दर वृद्धि की जाएगी जो 15 साल के बाद 3.30 रुपए पर फिक्स हो जाएगी.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation