अमरीका के राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) ने 30 मार्च, 2020 को एक नए मिशन-सनराइज की घोषणा की है जिसमें यह अध्ययन किया जाएगा कि सूर्य कैसे विशाल सौर कण तूफानों का निर्माण और प्रकाशन करता है.
सौर रेडियो इंटरफेरोमीटर अंतरिक्ष प्रयोग (सनराइज़) मिशन: इसका उद्देश्य वैज्ञानिकों को सौर मंडल के कामकाज को समझने में भी मदद करना है. यह भविष्य में चंद्रमा और मंगल पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को सौर तूफान से बचाने में भी मदद करेगा. यह मिशन 1 जुलाई, 2023 को शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है.
सनराइज़ मिशन के प्रमुख उद्देश्य
• सनराइज़ मिशन इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा कि सूर्य का विकिरण अंतरिक्ष पर्यावरण को कैसे प्रभावित करता है.
• यह भविष्य में चंद्रमा या मंगल ग्रह से संबंधित विभिन्न मिशनों पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों का सौर तूफानों से बचाव करेगा.
• यह सूर्य के स्पेक्ट्रम अर्थात वर्णक्रम के उस हिस्से का भी अध्ययन करेगा जो आयनमंडल के कारण पृथ्वी पर नहीं देखा जा सकता है.
• यह सूर्य के बारे में वह जानकारी जुटाने में भी सहायता करेगा जो अन्य सौर जांच यंत्रों - पार्कर सोलर प्रोब, सोलर ऑर्बिटर और ग्राउंड-बेस्ड डैनियल के. इनौय सौर दूरबीन से हासिल नहीं हो सकती है.
सनराइज़ मिशन का महत्त्व
सूर्य के बारे में अधिक जानकारी जुटाने के साथ यह भी पता लगाना कि सूर्य कैसे अंतरिक्ष में मौसम की घटनाओं को प्रभावित करता है. इससे अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष यान पर अंतरिक्ष के मौसम के प्रभावों को कम करना आसान होगा.
सनराइज़ मिशन: प्रमुख विशेषताएं
• सन राइज़ मिशन में छह क्यूबसैट्स लगे होंगे जो एक बहुत बड़ी रेडियो दूरबीन के तौर पर काम करेंगे.
• यह मिशन एक पेलोड ऑर्बिटल डिलीवरी सिस्टम (PODS) से जुड़ा होगा और अपने 6 क्यूबसैट्स को जियोसिंक्रोनस अर्थ ऑर्बिट (GEO) में तैनात करेगा. ये सभी 6 क्यूबसैट्स एक दूसरे से कम से कम 10 किलोमीटर की दूरी पर उड़ेंगे.
• ये सभी क्यूबसैट्स सौर सक्रियता से कम आवृत्ति के उत्सर्जन की रेडियो छवियों का निरीक्षण एक साथ करेंगे और उन्हें नासा के गहन अंतरिक्ष नेटवर्क के माध्यम से साझा करेंगे.
• ये क्यूबसैट्स पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपर उड़ेंगे ताकि रेडियो संकेत अवरुद्ध न हों और सन राइज़ इन रेडियो संकेतों का निरीक्षण करेगा.
• ये सभी क्यूबसैट्स उस स्थान को इंगित करने के लिए 3 डी मानचित्र बनाएंगे जहां विशाल कण सूर्य पर उत्पन्न होते हैं और जब वे विशाल कण अंतरिक्ष में बाहर की ओर बढ़ते हैं तो कैसे विकसित होते हैं. इस जानकारी से यह निर्धारित करने में मदद करेगी कि विकिरण के इन विशाल जेटों की शुरुआत कैसे होती है और कैसे ये तीव्र गति से आगे बढ़ते हैं.
• ये सभी क्यूबसैट्स सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र से निकलने वाली रेखाओं के विभिन्न ग्रहों के बीच अंतरिक्ष में पहुंचने के पैटर्न के संबंध में भी जानकारी प्राप्त करने के लिए एक साथ काम करेंगे. यह मैपिंग पहली बार की जाएगी.
• सनराइज मिशन को मैक्सार द्वारा निर्मित वाणिज्यिक उपग्रह/ सैटॅलाइट द्वारा राइड शेयर मिशन के रूप में लॉन्च करने की पेशकश की गई है. इसे एक वाणिज्यिक रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किए जाने की संभावना है.
नोट: यह सनराइज मिशन मार्स क्यूब वन (मार्को) और डीएआरपीए हाई-फ्रीक्वेंसी रिसर्च (डीएचएफआर) की सफलता के कारण संभव हो सका है. इन मिशनों में उन तकनीकों का इस्तेमाल हुआ था जिनका उपयोग सन राइज़ मिशन में किया जाएगा और इस मिशन के लिए इन तकनीकों को कम लागत, कम जोखिम वाले विकल्प के तौर पर तैयार किया गया है. इन सभी क्यूबसैट्स में सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो और जीपीएस लगे होंगे.
सनराइज़ मिशन की पृष्ठभूमि
नासा ने अपने एक्सप्लोरर/ खोजकर्ता कार्यक्रम के एक हिस्से के तौर पर मिशन ऑफ़ ऑपर्चुनिटी प्रोग्राम के तहत 11 महीने की कॉन्सेप्ट स्टडी का संचालन करने के लिए अगस्त 2017 में दो मिशन निर्धारित किये थे. सन राइज़ मिशन इनमें से एक मिशन है.
नासा ने फरवरी 2019 में इस कार्यक्रम को तैयार करने के अध्ययन के लिए एक अतिरिक्त वर्ष को मंजूरी दी थी. अमरीका की अंतरिक्ष एजेंसी को मार्च 2020 में 62.6 मिलियन डॉलर प्रदान किये गए ताकि सन राइज़ मिशन का डिजाइन तैयार करके इसका निर्माण जाए और निर्धारित समय पर लॉन्च किया जा सके. इस मिशन को जुलाई 2023 में लॉन्च किया जा सकता है.
सन राइज़ से संबंधित सारी व्यवस्था नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) द्वारा पासाडेना, कैलिफोर्निया में की जा रही है.
नासा के ऑपर्च्युनिटी मिशन्स
नासा के मिशन्स ऑफ ऑपर्च्युनिटी के तहत अंतरिक्षयान लॉन्च करने से संबंधित अपेक्षाकृत कम लागत वाले मिशन शामिल हैं जिन्हें अधिकतम वैज्ञानिक अध्ययनों को फिर से शुरू करने के लिए पूर्व स्वीकृति प्राप्त है.
सनराइज मिशन को मैक्सार द्वारा निर्मित वाणिज्यिक सैटॅलाइट द्वारा राइड शेयर मिशन के रूप में लॉन्च करने की पेशकश की गई है और इसमें पेलोड ऑर्बिटल डिलीवरी सिस्टम या PODS लगा होगा. मेजबान अंतरिक्षयान ऑर्बिट में जाने के बाद अन्य छह अंतरिक्ष यान तैनात करेगा और फिर अपना मुख्य मिशन शुरू करेगा.
नासा के मिशन्स ऑफ ऑपर्च्युनिटी नासा के सबसे पुराने और निरंतर जारी कार्यक्रम - खोजकर्ता कार्यक्रम का एक हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में बार-बार, कम लागत वाली यात्रा के अवसर प्रदान करना है. एक्सप्लोरर कार्यक्रम के तहत पहला प्रक्षेपण जनवरी, 1958 में अमेरिका के पहले उपग्रह के साथ हुआ था.
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