नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने गंभीर अंतरिक्ष मिशनों हेतु दुनिया की पहली नेक्स्ट–जेन एटॉमिक घड़ी बना कर भविष्य में अंतरिक्ष में मानव खोजों की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है.
यह घड़ी पसादेना, कैलिफोर्निया स्थिति नासा के जेट प्रोप्लशन लैब में इंजीनियरों द्वारा बनाई गई है. डीप स्पेस एटॉमिक क्लॉक नाम की इस घड़ी से अंतरिक्ष यानों के नेविगेशन में मदद कर भविष्य में होने वाले गंभीर अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों में मदद करने की उम्मीद है.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• यह घड़ी छोटी, हल्की होगी और अब से पहले अंतरिक्ष में भेजी गईं किसी भी एटॉमिक क्लॉक की तुलना में इसके परिणाण अधिक सटीक होने के उम्मीद हैं.
• जेपीएल के इंजीनियरों ने फरवरी 2017 में सर्रे ऑर्बिटल टेस्ट बेड स्पेसक्राफ्ट पर घड़ी के एकीकरण पर नजर रखी, 2017 में आगे चलकर इसे कक्षा में भेजा जाएगा.
• फिलहाल, ज्यादातर अंतरिक्ष यानों को "टू– वे" पद्धति का प्रयोग कर ट्रैक किया जाता है. इसमें धरती पर स्थित एंटीना अंतरिक्ष यान को संकेत भेजता है और फिर अंतरिक्ष यान से संकेत आने का इंतजार करता है.
• संकेत को यात्रा करने में लगे समय के आधार पर अंतरिक्षयान की दूरी मापी जाती है. नेविगेशन टीम फिर इसी आंकड़े का प्रयोग अंतरिक्षयान के मार्ग को निर्धारित करने में करता है और देखता है कि किसी प्रकार के बदलाव की जरूरत तो नहीं.
• हालांकि, घड़ी के विकास के साथ अंतरिक्षयानों को अब पृथ्वी पर संकेत वापस भेजने की जरूरत नहीं होगी. वैज्ञानिक वास्तविक– समय में अंतरिक्षयान को ट्रैक करने में सक्षम होंगे.
• वैज्ञानिकों द्वारा ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को निर्धारित करने और उसके वायुमंडल की जांच हेतु इस्तेमाल किए जाने वाले रेडियो डाटा की मात्रा और सटीकता में सुधार लाने में भी यह घड़ी मददगार होगी.
यह विकास भविष्य में अंतरिक्षयात्रियों के मार्गदर्शन में मदद करेगा क्योंकि यह आवश्यकता के अनुसार उनकी स्थिति और गति बताएगा. नासा के डीप स्पेस नेटवर्क पर एंटीना के बोझ को भी कम करेगा और एक ही एंटीना से अधिक अंतरिक्षयानों को ट्रैक करने देगा.
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