भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के स्थान पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) की स्थापना हेतु प्रस्तावित विधेयक को कई विपक्षी दलों के आग्रह के बाद 02 जनवरी 2018 को संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया.
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने लोकसभा में यह जानकारी दी. अनंत कुमार ने लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि वह समिति को अपनी रिपोर्ट संसद के बजट सत्र से पहले देने का निर्देश दें. इस विधेयक में देश में चिकित्सा शिक्षा को बेहतर बनाने और चिकित्सा सेवाओं के सभी पहलुओं में उच्च मानकों को बनाए रखने के उद्देश्य से भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) की जगह राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के गठन का प्रस्ताव किया गया.
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के बारे में
• यह आयोग मेडिकल शिक्षा के उच्च स्तर को बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्माण करेगा.
• इसके अतिरिक्त मेडिकल संस्थाओं, अनुसंधानों और चिकित्सा पेशेवरों के नियमन के लिए नीतियां निर्धारित करेगा.
• यह आयोग स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी देखभाल से जुड़े मुद्दों सहित स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की अपेक्षाओं और जरुरतों तक पहुंच बनाने के लिए मार्ग सुनिश्चित करेगा.
• सभी मेडिकल संस्थाओं में स्नातक आयुर्विज्ञान शिक्षा के लिए प्रवेश के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा होगी.
• यह आयोग अंग्रेजी और ऐसी अन्य भाषाओं में परीक्षा का संचालन करेगा. आयोग सामान्य काउंसलिंग की नीतियां भी निर्धारित करेगा.
• इसके तहत स्नातक आयुर्विज्ञान शिक्षा बोर्ड, स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान शिक्षा बोर्ड और चिकित्सा निर्धारण और रेटिंग बोर्ड तथा शिष्टाचार और चिकित्सक पंजीकरण बोर्ड का गठन किया जायेगा.
• राज्य सरकार, उस राज्य में यदि वहां कोई चिकित्सा परिषद नहीं है तो इस कानून के प्रभाव में आने के तीन वर्ष के भीतर उस राज्य में चिकित्सा परिषद स्थापित करने के लिए आवश्यक उपाय किया जायेगा.
• इस विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि किसी भी देश में अच्छी स्वास्थ्य देखरेख के लिए मेडिकल शिक्षा का भलीभांति क्रियाशील विधायी ढांचा जरूरी है.
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