11 मई: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस
भारत में 11 मई 2018 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया. इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1998 में हुए पोखरण परमाणु टेस्ट से हुई थी. यह दिवस भारत की विज्ञान में दक्षता तथा प्रौद्योगिकी में विकास को दर्शाता है.
भारत में इस दिवस को कैसे मनाया जाता है?
• प्रत्येक वर्ष इस दिन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाता है.
• इस दिन को तकनीकी रचनात्मकता, वैज्ञानिक जांच और समाज, उद्योग और विज्ञान के एकीकरण में किये गये प्रयास के का प्रतीक माना जाता है.
• इस अवसर पर तकनीकी संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. इस दिन प्रस्तुतिकरण, इंटरैक्टिव सत्र, प्रश्नोत्तरी, व्याख्यान और प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है.
• इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार भी प्रदान करते हैं. यह पुरस्कार इस क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करने वाले व्यक्ति को दिया जाता है.
• प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान मंत्रालयों द्वारा उनके विभागों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कराये जाते हैं.
पोखरण – 2 परमाणु परीक्षण
• वर्ष 1998 में भारत ने राजस्थान के पोखरण में तीन परमाणु परीक्षण करने का ऐलान किया. पहले परमाणु परीक्षण का कोड नाम ‘स्माइलिंग बुद्धा’ था जिसे मई 1974 में आयोजित किया गया.
• 11 मई 1998 को भारत द्वारा शक्ति -1 नामक परमाणु मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया.
• 11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोखरण परमाणु स्थल पर पांच परमाणु परीक्षण किये थे.
• 11 मई को हुए परमाणु परीक्षण में 15 किलोटन का विखंडन उपकरण और 0.2 किलोटन का सहायक उपकरण शामिल था.
• इसके बाद जापान और अमेरिका सहित प्रमुख देशों ने भारत के खिलाफ विभिन्न प्रतिबंध लगा दिए. भारत को परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने को कहा गया लेकिन भारत अपने रुख पर अड़ा रहा और हस्ताक्षर नहीं किये.
• इसके उपलक्ष्य में आधिकारिक तौर पर भारत में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में 11 मई को घोषित किया.
• बताया जाता है कि तड़के 3 बजे परमाणु बमों को सेना के ट्रकों के जरिए ट्रांसफर किया गया. इससे पहले इसे मुंबई से भारतीय वायु सेना के प्लेन से जैसलमेर बेस लाया गया था.
• इन परीक्षणों के ठीक 17 दिन बाद पाकिस्तान ने 28 व 30 मई को चगाई-1 व चगाई- 2 के नाम से अपने परमाणु परीक्षण किए.
परमाणु अप्रसार संधि क्या है? |
परमाणु अप्रसार संधि या एनपीटी का उद्देश्य विश्व में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना है. 1 जुलाई 1968 से इस समझौते पर हस्ताक्षर होना शुरू हुआ. अभी इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके देशों की संख्या 191 है, जिसमें पांच के पास आण्विक हथियार हैं. ये देश हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन. यह परमाणु हथियारों का विस्तार रोकने और परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण ढंग से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का एक हिस्सा है. उत्तर कोरिया ने इस सन्धि पर हस्ताक्षर किये तथा इसका उलंघन किया और फिर इससे बाहर आ गया. |
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