नीरज चोपड़ा ने 07 अगस्त 2021 को टोक्यो ओलंपिक के जैवलिन थ्रो फाइनल में इतिहास रच दिया है. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल किया है. नीरज ने पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में 87.58 मीटर के स्कोर के साथ शीर्ष पर रहे.
इस जीत के साथ ही नीरज ने 121 साल के इतिहास में पहली बार ट्रैक एंड फील्ड में भारत को गोल्ड दिला दिया है. वह फील्ड एंड ट्रैक में गोल्ड जीतने वाले पहले और व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले दूसरे भारतीय हैं. उनसे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक जीता था.
नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास
जैवलिन थ्रो के फाइनल में नीरज चोपड़ा शुरुआत से ही सबसे आगे रहे. उन्होंने अपनी पहली ही कोशिश में 87.03 मीटर की दूरी तय की है. वहीं दूसरी बार में उन्होंने 87.58 की दूरी तय करी. इसी के साथ उन्होंने अपने क्वालिफिकेशन रिकॉर्ड से भी ज्यादा दूर भाला फेंका है. जैवलिन थ्रो में ये भारत का अब तक का सबसे पहला मेडल है. इतना ही नहीं एथलेटिक्स में भी ये भारत का पहला ही मेडल है.
Golden⚡️Moment:
— All India Radio News (@airnewsalerts) August 7, 2021
India wins first ever Olympic medal in Athletics!
📸: The moment Neeraj Chopra fulfilled Indian athletics legend Milkha Singh’s last wish:of seeing an Indian win an Olympic medal in track and field.#NeerajChopra#Tokyo2020#Cheer4India pic.twitter.com/av3VR3Ghxp
13 साल बाद पहला गोल्ड मेडल
ओलंपिक खेलों में ये भारत का 13 साल बाद पहला गोल्ड मेडल है. नीरज चोपड़ा से पहले बीजिंग ओलंपिक में शूटिंग में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक जीता था. ये ओलंपिक में भारत का कुल दूसरा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक है. इससे पहले भारत ने हॉकी में 8 स्वर्ण पदक जीते हैं.
12 खिलाड़ियों ने फाइनल में जगह बनाई थी
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलिंपिक के सफर की शुरुआत शानदार तरीके से की थी. उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर भाला फेंका था जबकि क्वालिफाई के लिए 83.50 मीटर की सीमा तय की गई थी. नीरज ग्रुप ए में टॉप पर रहे थे और फाइनल में पहुंचे थे. वहीं ग्रुप बी में पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 85.16 मीटर भाला फेंका था और अपने ग्रुप (बी) में तीसरे नंबर पर रहे थे. दोनों ग्रुप मिलाकर कुल 12 खिलाड़ियों ने फाइनल में जगह बनाई थी.
फाइनल के छह राउंड में नीरज चोपड़ा
फाइनल के छह राउंड में नीरज चोपड़ा ने सबसे ज्यादा दूर 87.58 मीटर भाला दूसरे राउंड में फेंका था और किसी अन्य खिलाड़ी ने इस दूरी को पार करने में कामयाबी हासिल नहीं की और इसके आधार पर उन्हें स्वर्ण पदक विजेता करार दिया गया.
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