केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 22 अक्टूबर 2018 को बताया कि पिछले 4 साल में 1 करोड़ रुपये से अधिक आमदनी दिखाने वालों की संख्या में 60% की बढ़ोतरी हुई है. बतौर सीबीडीटी, निर्धारण वर्ष 2014-15 में 1 करोड़ रुपये से अधिक आमदनी दिखाने वालों की संख्या 88,649 थी जो निर्धारण वर्ष 2017-18 में बढ़कर 1.4 लाख रुपये से अधिक हो गई.
आयकर विभाग की पॉलिसी मैकिंग बॉडी के अनुसार करोड़पतियों में पिछले चार साल में 68 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है. उनके अनुसार 1 करोड़ से ज्यादा सालाना कमाई करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. जहां वर्ष 2014-15 में 88,649 आयकर दाताओं ने 1 करोड़ से ज्यादा की आय घोषित की वहीं वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 1,40,139 लाख हो गई.
सीबीडीटी के अनुसार एक करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 68 प्रतिशत बढ़कर 48,416 से 81,344 पर पहुंच गई.
आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वित्त वर्षों में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों का आंकड़ा भी 80 प्रतिशत बढ़ा है। 2013-14 में यह 3.79 करोड़ था, जो 2017-18 में 6.85 करोड़ हो गया.
आईटीआर रिटर्न्स में 80 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि:
सीबीडीटी ने यह भी कहा है कि पिछले चार सालों के दौरान फाइल किए गए आईटीआर रिटर्न्स में 80 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है और यह वर्ष 2013-14 के 3.79 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 6.85 करोड़ हो गया है.
रिटर्न फाइल करने की समयसीमा:
वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आयकर का भुगतान करने वाले सभी व्यक्तियों के लिए रिटर्न फाइल करना अनिवार्य कर दिया है. केंद्र सरकार ने हाल ही में रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दिया है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी):
भारत में प्रत्यक्ष कर से संबंधित सभी मामले 1 जनवरी 1964 से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को सौंप दिए गए और इसे राजस्व बोर्ड अधिनियम 1963 से अधिकार प्राप्त है. सीबीडीटी वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग का एक हिस्सा है. सीबीडीटी भारत में प्रत्यक्ष कर की नीतियों और योजनाओं के लिए आवश्यक निविष्टियां प्रदान करता है. सीबीडीटी के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस), भारत की प्रमुख सिविल सर्विस, से की जाती है.
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