भारत सरकार हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के तौर पर मनायेगी

Jan 20, 2021, 18:08 IST

केंद्र सरकार ने प्रतिवर्ष 23 जनवरी को नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया है ताकि देश के लोगों, विशेषकर युवाओं अपने भाग्य और आपदाओं का सामना करने के लिए प्रेरित किया जा सके.

Parakram Diwas: Government to celebrate January 23 as Parakram Diwas every year
Parakram Diwas: Government to celebrate January 23 as Parakram Diwas every year

भारत सरकार ने हर साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के तौर पर मनाने का फैसला किया है ताकि उनकी भावना से देश के युवाओं को प्रेरित किया जा सके.  

यह वर्ष नेताजी सुभाष चंद्र बोस का 125वां जयंती वर्ष है और भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमधाम से मनाने का फैसला किया है.

उद्देश्य

केंद्र ने देश के लोगों, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने के लिए हर साल 23 जनवरी को आने वाली  नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया है, ताकि युवा अपने जीवन में आने वाली किसी भी आपदा के दौरान बहादुरी से काम करें जैसेकि नेताजी ने अपने जीवन में सभी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया और वे आजीवन देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत रहे.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में

• सुभाष चंद्र बोस एक भारतीय राष्ट्रवादी थे, जिन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से जाना जाता था, जिनकी सुदृढ़ देशभक्ति ने उन्हें भारत का जन-नायक बना दिया. हालांकि, उनके तरीकों की आलोचना भी की गई थी क्योंकि उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी जर्मनी और साम्राज्यवादी जापान की मदद से भारत को ब्रिटिश राज से आजादी दिलाने में मदद करने का प्रयास किया था.
• वे अप्रैल, 1941 में जर्मनी पहुंचे, तब जर्मनी के नेतृत्व ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अप्रत्याशित सहानुभूति की पेशकश की. जल्द ही, एक स्वतंत्र भारत सेना, जिसमें इरविन रोमेल के अफ्रीका कोर द्वारा कब्जा किए गए भारतीय शामिल थे, भविष्य में भारत भूमि पर जर्मनी के संभावित आक्रमण की सहायता के लिए बनाई गई थी.
• एडॉल्फ हिटलर ने मई, 1942 के अंत में बोस के साथ अपनी एकमात्र मुलाकात के दौरान यही  सुझाव दिया और एक पनडुब्बी की व्यवस्था करने की पेशकश की. जर्मनी और जापान की सहायता से, बोस मई, 1943 में जापान के कब्जे वाले सुमात्रा में पहुंचे.
• फिर उन्होंने जापानी समर्थन के साथ भारतीय राष्ट्रीय सेना को आज़ाद हिंद फौज (INA) के तौर पर पुनर्निर्मित किया. INA में ब्रिटिश भारतीय सेना के वे भारतीय सैनिक शामिल थे, जिन्हें सिंगापुर की लड़ाई में पकड़ लिया गया था. 
• हालांकि, उनका यह सैन्य प्रयास वर्ष, 1944 के अंत में और वर्ष, 1945 की शुरुआत तक ही सिमट गया था, ब्रिटिश भारतीय सेना ने भारत पर जापानी हमले को भयंकर रूप से उलट दिया और लगभग आधी जापानी सेना और आधी INA टुकड़ी को मार गिराया था.  
• कथित तौर पर, ताइवान में एक विमान दुर्घटना के दौरान नेताजी की मृत्यु हो गई. हालांकि इस दुर्घटना में उनकी मौत का ऐसे सभी भारतीयों ने कड़ा विरोध किया, जो मानते थे कि वह जीवित हैं और भारत को  स्वतंत्र करवाने के लिए जरुर वापस आएंगे.

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