केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी हेतु सोशल रजिस्ट्री बनाई जा रही है. सरकार का उद्देश्य गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले देश के नागरिकों को प्राथमिकता के अधर पर लाभान्वित करना है.
सोशल रजिस्ट्री का उद्देश्य-
- इसके लिए केंद्र सरकार ने 2011 की सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना (एसईसीसी/ SECC) का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया.
- एसईसीसी के तहत परिवार के स्तर पर निर्धनता से संबंधित मापदंडों के आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं.
- सरकार गरीबी में रह रहे लोगों को लाभ पहुंचाने हेतु इसका इस्तेमाल बढ़ाना चाहती है.
- सोशल रजिस्ट्री सिस्टम से सामाजिक और आर्थिक लाभों में जालसाजी और दोहराव को कम करने के साथ ही लाभार्थियों के जीवन स्तर की निगरानी हेतु एक सिस्टम उपलब्ध कराना है.
- केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया है. और केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को लेकर वर्ल्ड बैंक के साथ भी विचार-विमर्श किया जा रहा है.
रूरल डिवेलपमेंट सेक्रटरी अमरजीत सिन्हा के अनुसार केंद्र सरकार इस विषय पर अन्य देशों के मामले में अध्ययन भी कर रही है. सरकार यह समझने की कोशिश कर रही है कि अन्य देशों ने इस लक्ष्य की कैसे प्राप्त किया. पारदर्शी तरीके से इस तरह के डेटा को अपडेट करने का बेहतर तरीका क्या है? इसके अतिरिक्त शिकायतों के निस्तारण हेतु व्यवस्था बनाने पर भी काम किया जाएगा.
पूर्व वित्त सचिव सुमित बोस की अध्यक्षता वाले हाई-लेवल एक्सपर्ट ग्रुप के अनुसार एसईसीसी/ SECC में इकनॉमिक डेटाबेस जैसी जनगणना से अधिक एक सोशल रजिस्ट्री इन्फॉर्मेशन सिस्टम बनने की संभावना है.
हाई-लेवल एक्सपर्ट ग्रुप का गठन जनवरी 2016 में एसईसीसी/ SECC 2011 के प्रयोग से राज्यों को संसाधन आवंटन के मानक का अध्ययन करने और विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थियों की पहचान हेतु किया गया.
सुझाव-
- एक्सपर्ट ग्रुप के सदस्य और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के असोसिएट प्रोफेसर हिमांशु के अनुसार सरकार को सभी योजनाओं हेतु एक रजिस्टर बनाने का सुझाव दिया. इसके लिए सभी योजनाओं को एक साथ लाने और बजटिंग और ऐलोकेशन के लिहाज से सरकार को बेहतर योजना बनाने में मदद करने की आवश्यकता होगी.
- एक्सपर्ट ग्रुप ने केंद्र की ओर से प्रायोजित सभी योजनाओं के साथ ही राज्यों की सरकारी योजनाओं हेतु एसईसीसी/ SECC डेटा के इस्तेमाल का सुझाव दिया.
- इनमें नैशनल फूड सिक्यॉरिटी ऐक्ट और हाउजिंग फॉर ऑल जैसी योजनाएं भी साम्मिलित हैं.
केंद्र सरकार के मापदंड-
- केंद्र सरकार इस मामले में गरीबी रेखा से नीचे के मापदंड को प्रयोग करना नहीं चाहती. सरकार इसके स्थान पर एसईसीसी/ SECC डेटा का इस्तेमाल करना चाहती है.
- इससे उसे गरीबी से निपटने में बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलेगी.
- एसईसीसी/ SECC डेटा में 14 मानकों के आधार पर लाभार्थियों को स्वतः बाहर करने के साथ ही 5 मानकों के आधार पर लाभार्थियों को स्वतः शामिल करने का प्रावधान है.
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