प्रागैतिहासिक मेगालिथ अध्ययन से खासी जनजाति का 1200 ईसा पूर्व से मेघालय में रहने के संकेत मिले

Jul 12, 2016, 15:21 IST

यह अध्ययन पुरातत्वविद मार्को मित्री एवं उनकी टीम द्वारा किया गया. उन्होंने लुम्माव्बुह गांव के नजदीक खुदाई करके अवशेषों का अध्ययन किया.

प्रागैतिहासिक काल के नवीन मेगालिथ अध्ययन से पता चला है कि मेघालय में खासी जनजाति 1200 ईसा पूर्व से ही निवास कर रही है. यह अध्ययन मेघालय के री-भोई जिले से मिलने वाले औजारों के आधार पर किया गया.

मेगालिथ एक विशाल पत्थर है जो प्रागैतिहासिक समय के एक स्मारक का भाग है.

यह अध्ययन पुरातत्वविद मार्को मित्री एवं उनकी टीम द्वारा किया गया. उन्होंने लुम्माव्बुह गांव के नजदीक खुदाई करके अवशेषों का अध्ययन किया.

लुम्माव्बुह में की गयी खुदाई मेघालय के नियोलिथिक क्षेत्र में की गयी पहली खुदाई है.

मेगालिथिक संरचना 1.5 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है जिसके तार प्रागैतिहासिक काल से जुड़ते हैं. इसमें लोहे एवं पत्थर का प्रयोग हुआ है.

इस अध्ययन में 20 से अधिक औजारों का प्रयोग किया गया एवं बीटा विश्लेषण, रेडियोकार्बन हेतु मियामी की प्रयोगशाला के आधार पर ही इसके अस्तित्व की तिथि बताई गयी.

खासी लोग

•    खासी जनजाति के लोग यहां के मूल निवासी हैं.

•    यह लोग अधिकतर सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेषकर असम के नजदीक निवास करते हैं तथा बांग्लादेश के कुछ भागों में निवास करते हैं.

•    वे स्वयं को ‘की खुन यू हयनीट्रेपकहते हैं, जिसका अर्थ है – सात झोपड़ियों के बच्चे.

•    उनकी भाषा को भी खासी ही कहा जाता है.

•    खासी भाषा ईसाई मिशनरियों के आने तक मौखिक ही थी.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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