सार्वजनिक संगठनों में सरकारी बैंक सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन रद्द करने में सबसे आगे हैं. राष्ट्रमंडल मानवाधिकार मुहिम द्वारा जारी जानकारी में बताया गया कि सभी सरकारी प्राधिकरणों को मिलने वाले कुल आरटीआई आवेदनों में नौ प्रतिशत आवेदन रिजर्व बैंक सहित 26 सार्वजनिक बैंकों को मिलते हैं.
इस अध्ययन में पाया गया कि रद्द किए जाने वाले आरटीआई आवेदनों में इनकी हिस्सेदारी 33 प्रतिशत है. अन्य सार्वजनिक ईकाईयों की तुलना में सरकारी बैंक आरटीआई को सबसे अधिक रद्द करते हैं.
अध्ययन के मुख्य तथ्य
• इस रिपोर्ट के अनुसार बैंकों को 2016-17 के दौरान 86 हजार आरटीआई आवेदन मिले.
• रिपोर्ट के अनुसार, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद ने सर्वाधिक 71 प्रतिशत आवेदन रद्द किए.
• इसके बाद ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने 50 प्रतिशत, कॉरपोरेशन बैंक ने 47.3 प्रतिशत, आंध्र बैंक ने 45.9 प्रतिशत तथा देना बैंक और केनरा बैंक ने 40-40 प्रतिशत आरटीआई आवेदन रद्द किए हैं.
• रिजर्व बैंक ने 57 प्रतिशत आरटीआई आवेदनों को अन्य कारण बताकर रद्द किया है.
सूचना का अधिकार (आरटीआई)
वर्ष 2005 में देश की संसद ने एक कानून पारित किया जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के नाम से जाना जाता है. इस अधिनियम में व्यवस्था की गई है कि नागरिक सरकार से सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं. सूचना का अधिकार अधिनियम हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह -
• सरकार से कोई भी सवाल पूछ सके या कोई भी सूचना ले सके.
• किसी भी सरकारी दस्तावेजज की प्रमाणित प्रति ले सके.
• किसी भी सरकारी दस्तावेज की जांच कर सके.
• किसी भी सरकारी काम की जांच कर सके.
• किसी भी सरकारी काम में इस्तेमाल सामिग्री का प्रमाणित नमूना ले सके.
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