भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शहरी सहकारी बैकों को मजबूत बनाने के लिये दृष्टिकोण पत्र तैयार करने को लेकर 15 फरवरी 2021 को एक समिति गठित की. आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली समिति शहरी सहकारी बैंकों के मसले के समाधान के लिये उपाय सुझाएगी. साथ ही क्षेत्र में उनकी मजबूत स्थिति के लिये उनकी संभावनाओं का भी आकलन करेगी.
समिति को सौंपे गये नियम एवं शर्तों के मुताबिक उसे एक गतिशील और मजबूत शहरी सहकारी बैंक क्षेत्र के लिये दृष्टिोण पत्र तैयार करना है. यह सबकुछ सहयोग के साथ-साथ जमाकर्ताओं के हितों और प्रणाली से जुड़े मुद्दों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा. समिति को अपनी रिपोर्ट आरबीआई को तीन महीने में देनी है.
आठ सदस्यीय समिति
आठ सदस्यीय समिति में नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) के पूर्व चेयरमैन हर्ष कुमार भानवाला भी शामिल हैं. समिति मौजूदा नियामकीय और निगरानी व्यवस्था की भी समीक्षा करेगी और क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिये सुझाव देगी.
पृष्ठभूमि
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली फरवरी को प्रस्तुत 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. इस घाटे को मार्च 2026 में समाप्त वित्त वर्ष तक 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है. कोविड-19 महामारी से प्रभावित चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 9.5 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है. बजट में अगले वित्त वर्ष के दौरान 12 लाख करोड़ रुपये का बाजार से कर्ज जुटाने का लक्ष्य रखा है.
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