अंग्रेजी भाषा के विख्यात लेखक रस्किन बांड, हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल और छह अन्य लेखकों का चयन 18 सितंबर 2021 को साहित्य अकादमी फेलोशिप के लिए किया गया. साहित्य अकादमी ने एक बयान में कहा कि अकादमी की आम परिषद ने अध्यक्ष डॉक्टर चंद्रशेखर काम्बर की अध्यक्षता में एक बैठक में अपने सर्वोच्च सम्मान - फेलोशिप की घोषणा की.
साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवासराव ने बताया कि साहित्य अकादमी फेलोशिप के लिए हिंदी में वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल, अंग्रेजी में रस्किन बॉन्ड, मराठी में डॉ. भालचंद्रा नेमडे, बंगाली में शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय, पंजाबी के लिए डॉ. तेजवंत सिंह गिल, संस्कृत के लिए स्वामी रामभद्राचार्य, मलयालम लेखिका एम. लीलावती और तमिल साहित्य के लिए इंदिरा पार्थसारथी को चुना गया है.
लेखकों के बारे में
विनोद कुमार शुक्ल: विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार हैं. उनका पहला कविता संग्रह साल 1971 में ‘लगभग जय हिन्द’ नाम से प्रकाशित हुआ. साल 1979 में ‘नौकर की कमीज़’ नाम से उनका उपन्यास आया. इस उपन्यास पर मणिकौल ने इसी से नाम से फिल्म भी बनाई थी. उन्हें उपन्यास ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के लिए वर्ष 1999 में ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय: शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं. इनके द्वारा रचित एक उपन्यास मानव जमीन के लिए उन्हें साल 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने अपने करियर की शुरूआत एक अध्यापक के रूप में की थी, लेकिन बाद में वे पत्रकार बन गए और आनंद बाजार पत्रिका समूह के लिए पत्रकारिता करने लगे. उन्होंने दो बार आनंद पुरस्कार, विद्यासागर पुरस्कार आदि से सम्मानित किया जा चुका है. साहित्य अकादमी ने शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय को वर्ष 2020 की फेलोशिप के लिए चुना है.
रस्किन बॉन्ड: अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक रस्किन बॉन्ड भी साहित्य अकादमी फेलोशित 2020 के लिए चुने गए हैं. भारत सरकार 1999 में ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया था. उनकी कई रचनाओं पर फिल्में भी बन चुकी हैं. उन्हें वर्ष 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. अब उन्हें साहित्य अकादमी की फेलोशिप के लिए चुना गया है.
स्वामी रामभद्राचार्य: जगद्गुरु रामभद्राचार्य एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं. रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं.
भालचंद्र नेमाडे: भालचंद्र नेमाडे प्रसिद्ध मराठी लेखक, उपन्यासकार, कवि, समीक्षक तथा शिक्षाविद हैं. केवल 25 वर्ष की आयु में प्रकाशित ‘कोसला’ नामक उपन्यास से उन्हें अपार सफलता मिली. भालचंद्र नेमाडे को साल 1991 में टीकास्वयंवर कृति के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें साल 2014 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation