भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 18 अगस्त 2020 को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF)में PM CARES कोष में किए गए योगदान के हस्तांतरण के लिए निर्देश जारी करने से इंकार कर दिया है. यह फैसला एक NGO द्वारा फंड ट्रांसफर करने की मांग करने वाली याचिका के जवाब में आया है.
जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, अशोक भूषण और एम.आर. शाह की खंडपीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि PM CARES फंड में किए गए योगदान एक धर्मार्थ ट्रस्ट के फंड थे, हालांकि, विभिन्न व्यक्तियों या संगठनों द्वारा NDRF को दिए गए योगदान पर कोई वैधानिक निषेध नहीं था.
NDRF एक वैधानिक निधि है जिसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 46 के तहत बनाया गया है. इस याचिका का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी नई राष्ट्रीय आपदा राहत योजना की कोई आवश्यकता नहीं है.
NDRF में PM CARES में दिए गए योगदान के हस्तांतरण से इंकार
NDRF को PM CARES फंड में दिए गए योगदान के हस्तांतरण से इंकार करने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए, अदालत ने यह कहा है कि, सभी व्यक्ति NDRF में योगदान करने के लिए स्वतंत्र हैं. हालांकि, PM CARES एक अलग कोष है जिसे सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तौर पर स्थापित किया गया है और वहां से धनराशि NDRF को हस्तांतरित करने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है.
याचिकाकर्ता के कोविड -19 के लिए एक राष्ट्रीय योजना स्थापित करने के अनुरोध पर, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि, केंद्र सरकार द्वारा तैयार योजना इस महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त है.
इस सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से केंद्र ने PM CARES फंड का बचाव करते हुए यह कहा कि, इसका उद्देश्य NDRF को दरकिनार करना नहीं था.
PM CARES फंड के बारे में:
केंद्र सरकार ने 28 मार्च, 2020 को सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तौर पर PM CARES फंड की स्थापना की थी. इस फंड की स्थापना कोविड -19 जैसी किसी भी प्रकार की आपादा या आपात स्थिति से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ की गई थी.
सरकार ने 8 जुलाई, 2020 को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने हलफनामे में इस तर्क का उल्लेख करते हुए कहा था कि PM CARES एक ऐसा फंड है जो राहत कार्य को करने के लिए स्थापित किया गया है इसके साथ ही कई अन्य फंड भी हैं, जो इसी तरह की तर्ज पर स्थापित किये गये हैं.
पृष्ठभूमि:
इस फंड के हस्तांतरण का निर्देश जारी करने से इंकार करने का निर्णय एक NGO - सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) द्वारा किए गए दावे के कारण आया है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि, PM CARES फंड को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कानूनी जनादेश का उल्लंघन करते हुए स्थापित किया गया है. उक्त अधिनियम के अनुसार, किसी भी संस्था या व्यक्ति द्वारा आपदा प्रबंधन के लिए दिए गए अनुदान को अनिवार्य रूप से NDRF में जमा किया जाना चाहिए.
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