वैज्ञानिकों ने कैंसर के ट्यूमर में एक ऐसे प्रोटीन की खोज की है, जो सामान्य ऊतकों (tissues) को कैंसर ग्रस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अब इस प्रोटीन को लक्षित कर कैंसर का इलाज किया जाना संभव हो सकता है. यह खोज मस्तिष्क, रक्त, त्वचा तथा किडनी जैसे अंगों के कैंसर के लिए खासतौर पर महत्वपूर्ण हो सकता है, जहां कैंसर बहुत तेजी से फैलता है.
यह शोध मोलेक्युलर सेल जर्नल में प्रकाशित हुआ है. यह खोज यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रिज के वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट तथा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है. उनके अनुसार, इस प्रोटीन को खत्म करने वाली या इसके बनने को रोकने वाली दवा विकसित कर कैंसर का प्रभावी इलाज किया जा सकता है.
इसका प्रयोग किस पर किया गया
चूहों पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि इस प्रोटीन को रोकने से कैंसर सेल नष्ट हुआ और स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान भी नहीं हुआ. यह शोध इस बात को सुनिश्चित करने वाला है कि एमईटीटीएल1 नामक इस प्रोटीन को बनने से आरएनए-माडीफाइंग आधारित दवा विकसित कर रोका जा सकता है. इससे कैंसर का एक नया इलाज मिल सकता है.
आरएनए-माडीफाइंग प्रोटीन
एमईटीटीएल फैमिली में आरएनए-माडीफाइंग प्रोटीन कोशिकाओं के वृद्धि में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ये प्रोटीन कुछ खास प्रकार के कैंसर सेल में पाए जाते हैं. इनमें मस्तिष्क, रक्त, अग्नाशय (पैंक्रियाज) तथा त्वचा के कैंसर भी शामिल हैं. ये प्रोटीन कुछ खास प्रकार के कैंसर सेल में पाए जाते हैं. इनमें मस्तिष्क, रक्त, अग्नाशय (पैंक्रियाज) तथा त्वचा के कैंसर भी शामिल हैं.
सीआरआइपीआर-सीएएस9 नामक तकनीक के इस्तेमाल
शोधकर्ता डॉक्टर त्जेलेपिस ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज तथा वेलकम सैंगर इंस्टीट्यूट के अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सीआरआइपीआर-सीएएस9 नामक तकनीक के इस्तेमाल से कैंसर सेल के कमजोर स्थानों की खोज की थी. अगले चरण में शोधकर्ताओं ने एमईटीटीएल1 जीन की पहचान की, जो आरएनए-माडीफाइंग एमईटीटीएल1 प्रोटीन का उत्पादन करता है.
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