एक अध्ययन के आधार पर जापान के यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के दोनों ध्रुवों पर ऑरोरा अर्थात् नॉर्दर्न लाइट्स की मौजूदगी के पीछे मौजूद वैज्ञानिक रहस्यों का पता लगाने का दावा किया है. इस शोध से प्पोर्व अब तक इन रंग-बिरंगी प्रकाश किरणों के भौतिक कारणों का पता नहीं लगाया जा सका था लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के वैज्ञानिकों के शोध द्वारा भौतिक कारणों का पता लगाया गया.
ऑरोरा की मौजूदगी का भौतिक कारण
• यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के वैज्ञानिकों के अनुसार ऑरोरा का जन्म इलेक्ट्रॉन और प्लाज़्मा तरंगों के परस्पर मिलने से होता है.
• मैग्नेटोस्फेयर में, जो कि पृथ्वी से बाहरी वातावरण में है, इलेक्ट्रॉन और प्लाज़्मा तरंगों के परस्पर मिलने की यह प्रक्रिया होती है जिसके परिणामस्वरुप इस प्रकार की प्रकास किरणें दिखाई देती हैं.
• मैग्नेटोस्फेयर के इलैक्ट्रिक कण ग्रह के चुम्बकीय क्षेत्र से नियंत्रित होते हैं.
• यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के वैज्ञानिकों के अनुसार, मैग्नेटोस्फेयर में परिवर्तन होने पर सौर वायु ऊर्जा निकलती है. इस सौर वायु ऊर्जा की वजह से ऑरोरल सबस्टॉर्म उत्पन्न होता है.
• मैग्नेटोस्फेयर में होने वाले बदलाव से विशेष प्रकार की प्लाज़्मा तरंगें उत्पन्न होती हैं, जिन्हें कोरस तरंग के नाम से भी जाना जाता है.
• इन तरंगों से पृथ्वी के बाहरी वातावरण में इलेक्ट्रॉन की बारिश होती है जिस वजह से ध्रुवों पर कई रंगों के मिश्रण से रंगीन प्रकाश की उत्पत्ति होती है.
वीडियो: इस सप्ताह के करेंट अफेयर्स घटनाक्रम जानने के लिए देखें
ऑरोरा किसे कहते हैं?
• यह आमतौर पर रात को अथवा प्रातः काल के समय दिखाई देटा है. पृथ्वी के दोनों ध्रुवों अर्थात दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव के आसमान में हरे, लाल और नीले रंग के मिश्रण से उत्पन्न होने वाले इस प्रकाश को ऑरोरा कहा जाता है.
• यह इंद्रधनुष से भी विशाल होते हैं. विभिन्न प्रकार के ऑरोरा में से कुछ सूर्योदय से पहले भी दिखाई देते हैं.
• इस अद्भुत प्राकृतिक नजारे को विश्व के अजूबों में गिना जाता है.
• ध्रुवों के पास ही इनकी स्थानीय उत्पत्ति की वज़ह से इन्हें ध्रुवीय ज्योति, उत्तर ध्रुवीय ज्योति या दक्षिण ध्रुवीय ज्योति कहा जाता है.
• उत्तरी अक्षांशों की इन रंग-बिरंगी किरणों को ऑरोरा बोरेलिस या उत्तर ध्रुवीय ज्योति के नाम से जाना जाता है.
• दक्षिणी अक्षांशों की इन रंग-बिरंगी किरणों को ऑरोरा ऑस्ट्रेलियास या दक्षिण ध्रुवीय ज्योति के नाम से जाना जाता है.
यह भी पढ़ें: भारत और ईरान ने 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किये
Comments
All Comments (0)
Join the conversation