विश्व के सुप्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक एवं ब्रह्मांड के रहस्यों के बारे में बताने वाले महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का निधन हो गया. वे 76 वर्ष के थे. स्टीफन हॉकिंग के परिवार ने 13 मार्च 2018 को एक बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की है. हॉकिंग के परिवार में उनके बच्चे लूसी, रॉबर्ट और टिम हैं.
स्टीफन हॉकिंग ने ब्रह्मांड के बहुत से अहम् रहस्यों के बारे में अपनी राय व्यक्त की थी जो विश्व भर में विशिष्ट स्थान रखती है. स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत को समझने में अहम योगदान दिया है. उनके पास 12 मानद डिग्रियां थीं. स्टीफन हॉकिंग के कार्यों के चलते उन्हें अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान भी प्रदान किया जा चुका है.
स्टीफन हॉकिंग का आरंभिक जीवन
• स्टीफ़न हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग के घर में हुआ.
• परिवार वित्तीय बाधाओं के बावजूद, माता पिता दोनों की शिक्षा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में की.
• स्टीफ़न हॉकिंग ने यूनिवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफ़ोर्ड में अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा 1959 में 17 वर्ष की आयु में शुरू की.
• द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्टीफन जब महज आठ वर्ष के थे उनका परिवार सुरक्षा कारणों से उत्तरी लंदन से बीस मील दूर स्थित सेंट अल्बांस कस्बे मे आकर बस गया.
• आठ वर्ष की आयु में वे रेडियो तथा अन्य कलपुर्जों को खोलकर जोड़ते रहते जिससे उनके अंदर वस्तुओं को जानने की जिज्ञासा ने जन्म लिया.
• यूनिवर्सिटी कॉलेज में गणित विषय उपलब्ध न होने पर भौतिकी को वैकल्पिक विषय के रुप मे चुना.
• अपनी पीएच.डी. डिग्री प्राप्त करने के बाद सबसे पहले वे एक रिसर्च फैलो बने और उसके बाद गोनविले व कैयस कॉलेज में एक प्राध्यापकीय फैलो नियुक्त हुए.
• 1973 में खगोल विज्ञान संस्थान छोड़ने के बाद, स्टीफन 1979 में एप्लाईड गणित और सैद्धांतिक भौतिकी विभाग में आए, फिर 1979 से लेकर 2009 तक गणित के ल्युकेसियन प्रोफेसर पद पर रहे.
• इससे पहले यह पद सर्वप्रथम आइजैक न्यूटन द्वारा और फिर 1669 में इसहाक बैरो द्वारा संभाला गया था.
स्टीफन हॉकिंग और मोटर न्यूरॉन बीमारी
• स्टीफन हॉकिंग जब 21 वर्ष के थे तो उन्हें मांसपेशियों में कमजोरी जैसा महसूस होने लगा तथा वह अपने पैरों पर खड़े होने में भी असमर्थ हो गये.
• डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनको मोटर न्यूरॉन नाम की बीमारी है और वे कुछ महीने ही जीवित रह पाएंगे.
• मोटर न्यूरॉन बीमारी में शरीर की नसों पर लगातार हमला होता है और शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं.
• लेकिन स्टीफन हॉकिंग ने अपनी इच्छाशक्ति से चिकित्सा विज्ञान को सालों तक गलत साबित किया.
• इस दौरान उन्होंने विश्व को अनेक महान वैज्ञानिक सिद्धांतों से अवगत कराया.
स्टीफन हॉकिंग द्वारा दिए गये वैज्ञानिक सिद्धांत
• स्टीफन हॉकिंग को आइजैक न्यूटन और एल्बर्ट आइंस्टाइन के समतुल्य वैज्ञानिक माना जाता है.
• उनके पास अथाह ज्ञान का भण्डार था जिसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास 12 मानद डिग्रियां थीं.
• उन्होंने हॉकिंग रेडिएशन, पेनरोज-हॉकिंग थियोरम्स, बेकेस्टीन-हॉकिंग फॉर्मूला, हॉकिंग एनर्जी समेत कई अहम सिद्धांत दुनिया को दिए.
• स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत को समझने में अहम भूमिका निभाई है.
• उन्होंने अपनी रिसर्च से यह साबित किया कि ब्लैक होल से भी रेडिएशन तरंगें निकलती हैं. इससे पहले माना जाता था कि गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्लैक होल से कुछ भी बाहर नहीं आता है. इसलिए इस सिद्धांत को हॉकिंग रेडिएशन थ्योरी के नाम से जाना जाता है.
• ब्रह्मांड पर उनकी लिखी किताब ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ विश्व की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों में से एक है.
• हॉकिंग का आईक्यू 160 माना जाता था जो किसी भी विद्वान से कहीं ज्यादा है.
• वर्ष 2014 में उनकी जिंदगी पर फिल्म ‘थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ भी बनाई जा चुकी है.
• स्टीफन हॉकिंग ने एक इंटरव्यू में कहा था, “मेरा शरीर लगभग सभी मांसपेशियों से मेरा नियंत्रण खो चुका है और अब मैं अपने गाल की मांसपेशी के जरिए, अपने चश्मे पर लगे सेंसर को कम्प्यूटर से जोड़कर ही बातचीत करता हूँ.”
स्टीफन हॉकिंग और मोटोर न्युरॉन बीमारी
· स्टीफन हॉकिंग जब 21 वर्ष के थे तो उन्हें मांसपेशियों में कमजोरी जैसा महसूस होने लगा तथा वह अपने पैरों पर खड़े होने में भी असमर्थ हो गये.
· डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनको मोटर न्यूरॉन नाम की बीमारी है और वे कुछ महीने ही जीवित रह पाएंगे.
· मोटर न्यूरॉन बीमारी में शरीर की नसों पर लगातार हमला होता है और शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं.
· लेकिन स्टीफन हॉकिंग ने अपनी इच्छाशक्ति से चिकित्सा विज्ञान को सालों तक गलत साबित किया.
· इस दौरान उन्होंने विश्व को अनेक महान वैज्ञानिक सिद्धांतों से अवगत कराया.
स्टीफन हॉकिंग द्वारा दिए गये वैज्ञानिक सिद्धांत
· स्टीफन हॉकिंग को आइजैक न्यूटन और एल्बर्ट आइंस्टाइन के समतुल्य वैज्ञानिक माना जाता है.
· उनके पास अथाह ज्ञान का भण्डार था जिसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास 12 मानद डिग्रियां थीं.
· उन्होंने हॉकिंग रेडिएशन, पेनरोज-हॉकिंग थियोरम्स, बेकेस्टीन-हॉकिंग फॉर्मूला, हॉकिंग एनर्जी समेत कई अहम सिद्धांत दुनिया को दिए.
· स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत को समझने में अहम भूमिका निभाई है.
· उन्होंने अपनी रिसर्च से यह साबित किया कि ब्लैक होल से भी रेडिएशन तरंगें निकलती हैं. इससे पहले माना जाता था कि गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्लैक होल से कुछ भी बाहर नहीं आता है. इसलिए इस सिद्धांत हो हॉकिंग रेडिएशन थ्योरी के नाम से जाना जाता है.
· ब्रह्मांड पर उनकी लिखी किताब ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ विश्व की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों में से एक है.
· हॉकिंग का आईक्यू 160 माना जाता था जो किसी भी विद्वान से कहीं ज्यादा है.
· उनका शरीर उनका
· वर्ष 2014 में उनकी जिंदगी पर फिल्म ‘थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ भी बनाई जा चुकी है.
· स्टीफन हॉकिंग ने एक इंटरव्यू में कहा था, “मेरा शरीर लगभग सभी मांसपेशियों से मेरा नियंत्रण खो चुका है और अब मैं अपने गाल की मांसपेशी के जरिए, अपने चश्मे पर लगे सेंसर को कम्प्यूटर से जोड़कर ही बातचीत करता हूँ.”
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