सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई 2016 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता में मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया (एमसीआई) के कामकाज में देखरेख हेतु तीन सदसीय समिति का गठन किया. यह भारत के चिकित्सा क्षेत्र में नियामक संस्था है.
इस समिति में पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय एवं डॉ एस के सरीन भी शामिल हैं.
पांच जजों की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को दिए गए अधिकार का प्रयोग करते हुए इस समिति कमेटी का गठन किया.
अदालत ने संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट एवं विभिन्न सरकारी पैनलों की रिपोर्ट के अनुसार एमसीआई को गलत कार्यों में लिप्त पाया गया.
कोर्ट के अनुसार एमसीआई का गठन देश में मेडिकल सेवाओं की बेहतरी के लिए किया गया एवं वह अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार एमसीआई द्वारा अपनी मूलभूत जिम्मेदारी को भी नहीं निभा पाने के कारण जो मेडिकल प्रोफेशनल आ रहे हैं वे उनके लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि यह लोग प्राइमरी हेल्थ सेंटर या जिला स्तर पर उपयुक्त नहीं हैं.
इससे पहले, आर एम लोढ़ा पैनल को वर्ष 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) एवं बीसीसीआई में हुए सट्टेबाजी प्रकरण में जांच के लिए नियुक्त किया गया था.
अनुच्छेद-142
दरअसल संविधान के अनुच्छेद-142 में सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार दिया गया है कि जब सरकार किसी दायित्व का निर्वहन करने में नाकाम रहती है तो सुप्रीम कोर्ट उस पर फैसला सुना सकता है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए यूपी में लोकायुक्त नियुक्त किया था.
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