संयुक्त राष्ट्र द्वारा 30 जुलाई 2017 को मानव तस्करी के विरुद्ध दिवस-2017 मनाया गया. इस दिवस पर संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) द्वारा मानव तस्करी से पीड़ित लोगों के लिए #गिवहोप (#givehope) नामक अभियान चलाया गया.
इस दिवस का मनाने का मुख्य उद्देश्य मानव तस्करी के पीड़ित लोगों की परेशानियों को सामने लाना तथा उनके अधिकारों की रक्षा करना है.
आमसभा की उच्च स्तरीय बैठक में वर्ष 2013 में इस संदर्भ में वैश्विक कारवाई योजना तैयार की गयी. सदस्य देशों द्वारा प्रस्ताव ए/आरईएस/68/192 को भी अपनाया गया तथा प्रत्येक वर्ष 30 जुलाई को मानव तस्करी के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाये जाने की घोषणा की गयी.
मानव तस्करी पर यूएनओडीसी की द्विवार्षिक ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार इस अपराध को अंजाम देने के लिए 152 देशों से लोगों की तस्करी की जाती है जबकि 124 देशों में उन्हें पहुंचाया जाता है.
मानव तस्करी के बारे में:
मानव तस्करी मनुष्यों का व्यापार करना है. इसका अधिकांश उद्देश्य यौन उत्पीड़न, जबरन श्रम अथवा देह व्यापार है. मानव तस्करी में मानव अंगों को भी बेचा जाता है तथा उन्हें जबरन किसी अनजान से विवाह के लिए भी मजबूर किया जाता है. इसका दायरा राष्ट्रीय अथवा अंतरराष्ट्रीय हो सकता है.
यह मानव अधिकारों के प्रति किया जाने वाला अपराध है जिसमें व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं समानता छीन ली जाती है. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किये जा रहे सबसे बड़े अपराध में से एक है. संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार लोगों द्वारा हो रहे प्रवास एवं मानव तस्करी में संबंध का पता चला है.
यूएनओडीसी द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रकार का अधिकतर प्रवास सीरिया एवं एरिट्रिया से हुआ है जबकि म्यांमार एवं बांग्लादेश भी इसमें शामिल हैं. मानव तस्करी खासकर बच्चों की तस्करी एक बड़ी समस्या है.

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