अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने औपचारिक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से हटा लिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस महामारी से निपटने को लेकर संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य निकाय की लगातार आलोचना करते रहे हैं.
ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 07 जुलाई 2020 को इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि व्हाइट हाउस ने आधिकारिक तौर पर डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को वापस ले लिया है. अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र (UN) महासचिव को इस बात की जानकारी दे दी गई है.
डब्ल्यूएचओ को अपना फैसला भेज दिया
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को इस बाबत अपना फैसला भेज दिया है. ये डब्ल्यूएचओ और अन्य देशों के लिए जबरदस्त झटका हो सकता है. बताते चलें कि ट्रंप सरकार ने कोरोना वायरस मामले में आरोप लगाया था कि डब्ल्यूएचओ चीन के अधीन काम काम रहा है. साथ ही अप्रैल महीने से अमेरिकी सरकार ने डब्ल्यूएचओ को फंडिंग देना भी बंद कर दिया था.
अमेरिका इस तारीख से डब्ल्यूएचओ का सदस्य नहीं रहेगा
अमेरिकी मीडिया के अनुसार ट्रंप सरकार ने डब्ल्यूएचओ से अपनी सदस्यता वापस लेने से संबंधित पत्र भेज दिया है. अमेरिका 06 जुलाई 2021 के बाद डब्ल्यूएचओ का सदस्य नहीं रह जाएगा. साल 1984 में तय नियमों के तहत किसी भी सदस्यता वापस लेने के साल भर बाद ही देश को डब्ल्यूएचओ से निकाला जाता है. इसके अतिरिक्त अमेरिका को डब्ल्यूएचओ के सभी बकाए चुकाने होंगे.
Trump administration formally withdraws US from World Health Organization: US Media (File pic of US President Donald Trump) pic.twitter.com/TZGMjpoFD8
— ANI (@ANI) July 7, 2020
ट्रंप ने अप्रैल में WHO की फंडिंग पर रोक लगाई थी
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अप्रैल में ही डब्ल्यूएचओ की फंडिग पर रोक लगा दी थी. अमेरिका डब्ल्यूएचओ को सबसे ज्यादा फंड देने वाला देश है, एक रिपोर्ट के मुताबिक डब्ल्यूएचओ लगभग 400 मिलियन डॉलर हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन को देता है.
पृष्ठभूमि
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल महीने में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग होने की घोषणा कर दी थी. डब्ल्यूएचओ को दिए जाने वाले अनुदान राशि को भी तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया था. अमेरिका का आरोप है कि चीन में कोरोना वायरस की पहचान और उसे महामारी घोषित करने में डब्ल्यूएचओ ने जानबूझकर देरी की. ट्रंप ने आरोप लगाया था कि डब्ल्यूएचओ पर चीन का नियंत्रण है और कोविड-19 को लेकर जरूरी स्वास्थ्य सूचनाएं बेहद बाद में जारी की गईं, जिससे अमेरिका सर्वाधिक प्रभावित हुआ है.
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