भारत और फ्रांस की नौसेनाओं ने 25 अप्रैल 2021 को अरब सागर में 3 दिवसीय युद्धाभ्यास शुरू किया. यह युद्धाभ्यास हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति से उत्पन्न चिंता की पृष्ठभूमि में हो रहा है. फ्रांसीसी नौसेना की ओर से इस युद्धाभ्यास में परमाणु ऊर्जा से चालित विमान वाहक पोत चार्ल्स दि गॉल और उसके पूरे आक्रमण दस्ते को इसमें शामिल किया गया है, जो इस युद्धाभ्यास की गंभीरता को बताता है.
भारत और फ्रांस की नौसेनाओं के बीच अरब सागर में 25 अप्रैल 2021 से तीन दिन का मेगा वारगेम शुरू हो गया. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती समुद्री उपस्थिति से बढ़ रही चिंता के बीच इस संयुक्त अभ्यास को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. फ्रांसीसी दूतावास ने युद्धाभ्यास शुरू होने के बाद कहा कि वरुणा अभ्यास का 19वां संस्करण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने में दोनों देशों के साझा हितों और प्रतिबद्धता की झलक दिखाएगा.
The 19th edition of the Indian and French Navy bilateral exercise ‘VARUNA-2021’ is scheduled to be conducted in the Arabian Sea from 25th to 27th April 2021.
— ANI (@ANI) April 24, 2021
भारत-फ्रांस नौसैनिक अभ्यास
फ्रांसीसी दूतावास ने कहा कि साल 1983 में शुरू हुआ भारत-फ्रांस नौसैनिक सहयोग दोनों देशों के मुक्त, खुले व समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. बयान के अनुसार युद्धाभ्यास के दौरान विभिन्न तरह के समुद्री अभियान का अभ्यास किया जाएगा.
वरुण अभ्यास: एक नजर में
वरुण अभ्यास के 19वां संस्करण में फ्रांसीसी नौसना का विमानवाहक पोत बेहद शक्तिशाली है. इस अभ्यास में फ्रांसीसी नौसेना दल की ओर से विमानवाहक पोत चार्ल्स डि गाउले व सीएसजी के अलावा हॉरिजन, क्लास एयर डिफेंस डेस्ट्रॉयर कैवेलियर पॉल, एक्विटन-क्लास मल्टी मिशन फ्रिगेट प्रूवेंस और कमांड एंड सप्लाई शिप वार को शामिल किया गया है.
युद्धपोत का वजन
युद्धपोत का वजन करीब 42500 टन है, जो एफिल टॉवर से करीब चार गुना ज्यादा वजन है. इससे पहले अप्रैल में भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के साथ 5 अप्रैल से 7 अप्रैल के बीच बंगाल की खाड़ी में ला पेरेस अभ्यास में भाग लिया था.
उद्देश्य
तीन दिवसीय युद्धाभ्यास के दौरान विभिन्न तरह के समुद्री अभियान का अभ्यास किया जाएगा. इसका उद्देश्य नौसेनाओं में समन्वय एवं साझा अभ्यास करना है और रणनीतिक क्षेत्र में संयुक्त कार्रवाई की क्षमता हासिल करना है. इस युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य नौसेनाओं में समन्वय करना है और रणनीतिक क्षेत्र में संयुक्त कार्रवाई की क्षमता हासिल करनी है.
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