टीवी के लोकप्रिय धारावाहिक ‘रामायण' में रावण का किरदार निभाने वाले एक्टर अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) का निधन हो गया है. वे 82 साल के थे. अरविंद त्रिवेदी काफी समय से बीमार चल रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीती रात दिल का दौरा पड़ने से अरविंद त्रिवेदी का निधन हुआ है.
एक्टर के भतीजे कौस्तुभ त्रिवेदी ने उनके मौत की पुष्टि की है. अरविंद त्रिवेदी के निधन की खबर सामने आने पर टीवी इंडस्ट्री में शोक का माहौल है. बता दें, इससे पहले मई महीने में एक्टर के निधन की अफवाह सामने आई थी. उस समय सुनील लहरी ने इन खबरों को गलत करार दिया था.
पीएम नरेंद्र मोदी ने क्या कहा?
पीएम नरेंद्र मोदी ने अरविंद त्रिवेदी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि हमने श्री अरविंद त्रिवेदी को खो दिया है, जो न केवल एक असाधारण अभिनेता थे बल्कि जनसेवा के प्रति भी जुनूनी थे. उन्हें भारतीयों की आने वाली पीढ़ियां टीवी सीरियल 'रामायण' में उनके काम के लिए याद करेंगी.
इस किरदार से मिली असली पहचान
बता दें कि अरविंद त्रिवेदी का करियर गुजराती रंगमंच से शुरू हुआ था. अरविंद त्रिवेदी को असली पहचान साल 1987 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए रामायण से मिली. रामायण में अरविंद ने रावण का किरदार निभाया था. अरविंद ने रावण के किरदार में ऐसी जान फूंकी थी कि दर्शक उन्हें हकीकत में रावण मानने लगे थे.
अरविंद त्रिवेदी के बारे में
- मध्य प्रदेश के उज्जैन में जन्मे अरविंद त्रिवेदी ने गुजराती मंच से अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने कई गुजराती फिल्मों में अभिनय किया किया है.
- वे गुजराती दर्शकों के बीच काफी मशहूर थे. उन्हें अपने शानदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
- आपको बता दें कि अरविंद त्रिवेदी अब तक लगभग 300 हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम कर चुके हैं. एक्टिंग के अलावा उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया था.
- उनके भाई उपेंद्र त्रिवेदी भी गुजराती सिनेमा का चर्चित नाम रहे हैं और गुजराती फिल्मों में एक्टिंग कर चुके हैं.
- गुजराती भाषा की धार्मिक और सामाजिक फिल्मों से अरविंद त्रिवेदी को गुजराती दर्शकों में पहचान मिली, जहां उन्होंने 40 वर्षों तक योगदान दिया. उन्हें शानदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके थे.
- उन्हें साल 2002 में सेंट्रल बोर्ड फॉर फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) का एक्टिंग चेयरमैन भी बनाया गया था. इसके अतिरिक्त, वे साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर सांसद भी बने थे और पांच साल तक पद पर रहे थे.
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