पश्चिम बंगाल का नाम बदलने हेतु विधानसभा में प्रस्ताव पारित

Jul 27, 2018, 13:38 IST

पश्चिम बंगाल के नाम को बदलने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय की स्वीकृति के लिए भेजा गया है. यह नाम तभी बदल पाएगा जब इस प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय अपनी स्वीकृति दे देगा.

West Bengal assembly passes bill to change the state's name from West Bengal to Bangla
West Bengal assembly passes bill to change the state's name from West Bengal to Bangla

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम बदलने के लिए 26 जुलाई 2018 को सदन में एक प्रस्ताव पारित किया है. पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ रखे जाने का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया है.

इस प्रस्ताव को गृह मंत्रालय की स्वीकृति के लिए भेजा गया है. यह नाम तभी बदल पाएगा जब इस प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय अपनी स्वीकृति दे देगा.

मुख्य बिंदु

•    इस प्रस्ताव पर केन्द्र और राज्य के बीच कोई फसला न आने के बाद एक बार फिर से यह कदम उठाया गया है.

•    इससे पहले, केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जिसमें पश्चिम बंगाल को इंग्लिश में बंगाल और बंगाली में बंग्ला करने की सिफारिश की गई थी.

•    इससे पहले, पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में राज्य सरकार ने उस वक्त यह फैसला किया था कि तीनों भाषा- बंगाली, हिन्दी और इंग्लिश में इसका नाम बदलने के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा.

नाम बदलने का कारण

तृणमूल कांग्रेस जब राज्य की सत्ता में आई थी उस समय राज्य का नाम बदलकर पश्चिम बांगो करने का फैसला किया था और उसके बाद फिर उसे बंगाल करने का फैसला किया था. उस समय भी उसे केन्द्र से स्वीकृति नहीं मिल पाई थी. पश्चिम बंगाल का नाम बदलने का शुरुआती कारण यह है कि जब भी सभी राज्य सरकारों की बैठक होती है तो वर्णक्रमानुसार सूची में पश्चिम बंगाल का नाम सबसे आखिर में आता है.



राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 में राज्यों के निर्माण एवं पुनर्गठन के सम्बन्ध में प्रावधान दिए गए हैं. इनके अनुसार संसद कानून बनाकर नए राज्य का निर्माण, किसी राज्य के क्षेत्र में विस्तार, किसी राज्य के क्षेत्र को घटाना, किसी राज्य की सीमाओं को बदल देना एवं किसी राज्य के नाम में परिवर्तन करने संबंधी मामलों में कदम उठा सकती है.

राज्य का विधानमंडल इस विषय में एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजता है. इस प्रस्ताव पर राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होता है. अनुमोदन के उपरान्त केंद्र सरकार उस प्रस्ताव को पुनः सम्बंधित राज्य/राज्यों के विधानमंडल को अपना विचार रखने एवं एक निश्चित समय के अन्दर उसे संसद में प्रस्तुत करने के लिए कह सकती है. संसद में बहुमत प्राप्त होने पर राज्य के नाम परिवर्तन पर अंतिम मुहर लग जाती है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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