फैक्ट बॉक्स: क्या है जेनेवा कन्वेंशन?

Feb 28, 2019, 14:43 IST

जेनेवा कन्वेंशन के मुताबिक युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है. कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता.

Geneva Convention
Geneva Convention

हाल ही में भारत की एक मिग विमान हादसे का शिकार हो गया और उसमें सवार विंग कमांडर ‘अभिनंदन वर्तमान’ लापता हो गये हैं. पाकिस्तान का दावा है कि भारत का लापता पायलट अभिनंदन वर्तमान पाकिस्तान सेना के कब्जे में है.

पाकिस्तान ने कहा है कि उसके साथ मानवीय व्यवहार किया जाएगा. भारत ने इसे लेकर कहा है कि पाकिस्तान जल्द से जल्द हमारे पायलट को वापस लौटा दे. भारत ने कहा है कि जब तक वह हिरासत में है उसके साथ जेनेवा कन्वेंशन (Geneva Convention) के तहत व्यवहार किया जाना चाहिए.

जेनेवा कन्वेंशन क्या है?

अगर लड़ाई में कोई जवान या अधिकारी शत्रु देश की सीमा में दाखिल हो जाता है तो गिरफ्तारी की सूरत में उसे युद्धबंदी माना जाता है. युद्धबंदियों के संबंध में जेनेवा में व्यापक विचार कर कुछ नियम बनाए गए जिसे हम जिनेवा कन्वेंशन के तौर पर जानते हैं.

इस समझौते के तहत ऐसे किसी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता है. युद्ध बंदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता है. उसे किसी तरह से अपमानित नहीं किया जा सकता है.

इस संधि के तहत एक विकल्प ये भी है कि युद्ध के समाप्त हो जाने के बाद उन्हें वापस लौटा दिया जाए.

जेनेवा कन्वेंशन के मुताबिक युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है. कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता. युद्धबंदियों से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है.

जेनेवा कन्वेंशन की खास बातें:

   जेनेवा कन्वेंशन के तहत घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाएगी.

   इसके तहत उन्हें खाना-पीना और युद्ध की सभी जरूरी चीजें मुहैया कराई जाएगी.

   इस कन्वेंशन के मुताबिक किसी भी युद्धबंदी को प्रताड़ित नहीं किया जा सकता.

   किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है वह इस संधि के तहत आ जाता है.

   जेनेवा कन्वेंशन के मुताबिक उसे डराया-धमकाया नहीं जा सकता.

   इसके तहत युद्धबंदी से उसकी जाति, धर्म, जन्म आदि के बारे में नहीं पूछा जा सकता.

जेनेवा कन्वेंशन कब और क्यों हुआ?

पहला जेनेवा समझौता वर्ष 1864 में हुआ था. दूसरा समझौता वर्ष 1906 और तीसरा वर्ष 1929 में हुआ. जेनेवा कन्वेंशन पर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1949 में चौथी सहमति बनी. युद्ध के दौरान भी मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए जेनेवा समझौता हुआ था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी जो कि अब तक लागू है. इसमें युद्धबंदियों के अधिकार तय किये गये हैं. उसके खिलाफ मुकदमा भी इन्हीं नियमों के तहत चलाया जा सकता है. युद्धबंदी को लौटाना भी होता है.

 

सामान्य तौर पर दुनिया के ज्यादातर देश जेनेवा कन्वेंशन का सम्मान करते रहे हैं. आप को बता दें कि करगिल लड़ाई के दौरान पायलट नचिकेता को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था. नचिकेता के मामले को जेनेवा संधि के तहत उठाया गया था. तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया और पाकिस्तान सरकार ने नचिकेता को सकुशल स्वदेश वापस छोड़ा.

भारत ने वर्ष 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान के लगभग 93 हजार सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया था. जिन्हें बाद में सुरक्षित छोड़ दिया गया था.

 

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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