What is Shigella bacteria: केरल के कासरगोड़ जिले के एक रेस्ट्रॉन्ट में 01 मई 2022 को शावरमा खाने से 58 लोग बीमार हो गए थे. इससे एक 16 साल के किशोरी की जान भी चली गई थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संदिग्ध भोजन विषाक्तता की घटना के पीछे शिगेला बैक्टीरिया (What Is Shigella Bacteria) को कारण माना जा रहा है. फिलहाल इसकी जांच की जा रही है.
रिपोर्ट के अनुसार कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में फूड पॉइजनिंग पीड़ितों के रक्त और मल के नमूनों की जांच के बाद इस वायरस की जानकारी मिली है. सभी संक्रमित लोगों में से 5 रोगियों के नमूने जांच के लिए कोझिकोड मेडिकल कॉलेज भेजे गए थे. संक्रिमतों में से तीन की रिपोर्ट में शिगेला बैक्टीरिया (Shigella Bacteria) के संक्रमण की पुष्टि हुई है.
केरल सरकार ने क्या कहा?
केरल सरकार ने 03 मई 2022 को बताया कि कासरगोड में चिकन शावरमा खाने के बाद फूड पॉइज़निंग की हुई घटना का मूल कारण शिगेला बैक्टीरिया था जिसके चलते एक 16-वर्षीय लड़की की मौत हो गई.
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य अधिकारी आम लोगों और ढाबों के मालिकों के बीच इस संबंध में जागरूकता हेतु काम कर रहे हैं कि बैक्टीरिया कैसे फैलता है, इससे संक्रमित होने से कैसे बचा जाए तथा इसे नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं. बता दें स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा विभिन्न भोजनालयों एवं रेस्तरांओं का निरीक्षण किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त स्थानीय जलापूर्ति की भी जांच की जा रही है.
क्या है Shigella bacteria?
बैक्टीरिया से शिगेलोसिस संक्रमण होता है जिससे पीड़ित अधिकतर लोगों को डायरिया, बुखार, पेट दर्द होता है. गंभीर संक्रमण वाले मरीज़ को एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं. बैक्टीरिया के प्रसार पर काबू पाने के लिए प्रशासन सभी जरूरी कदम उठा रहा है.
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार बैक्टीरिया मुख्य रूप से दूषित भोजन और पानी से फैलता है. इस पर काबू पाने के लिए स्वच्छता महत्वपूर्ण कारक है. इसके अतिरिक्त, खाना ठीक से पकाने से भी बैक्टीरिया मर जाते हैं. रेस्टोरेंट एवं ढाबों पर इसे लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है.
शिगेला बैक्टीरिया के लक्षण
शिगेला बैक्टीरिया से पीड़ितों में दस्त, बुखार एवं पेट में दर्द या मरोड़ जैसे लक्षण आम हैं, जो सात दिनों तक रह सकते हैं. इस बैक्टीरिया संक्रमण का इलाज सामान्य तौर पर एंटीबायोटिक्स से किया जाता है. इससे संक्रमण फैलने पर भी लगाम लग सकती है.
शिगेला ग्रस्त में भी लक्षण 1 से 2 दिन बाद दिखने शुरू होते हैं. शिगेला के मामूली लक्षण वाले रोगी बगैर इलाज के ठीक हो सकते हैं. लेकिन गंभीर मामले खतरनाक होकर जानलेवा तक हो सकते हैं. शिगेला बैक्टीरिया किसी पीड़ित से दूसरे को तब भी फैल सकता है, जबकि पीड़ित के दस्त के लक्षण ठीक हो चुके हों. बता दें बहुत कम मात्रा में बैक्टीरिया ही किसी को बीमार करने के लिए काफी होते हैं.
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