कोविड -19 वायरस की उत्पत्ति की जांच के लिए चीन के वुहान शहर की 12 दिवसीय यात्रा के बाद, 09 फरवरी, 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम ने वायरस के एक 'लैब लीक' के सिद्धांत को खारिज कर दिया है और यह निष्कर्ष निकाला है कि, यह वायरस संभवतः किसी मध्यस्थ प्रजाति के माध्यम से मनुष्यों में संचरित हो गया है.
WHO के नेतृत्व वाली टीम के प्रमुख, डॉ. पीटर बेन एम्बरेक ने इस जांच के बारे में जानकारी दी और यह उल्लेख किया कि, प्रारंभिक निष्कर्षों से यह पता चलता है कि, किसी मध्यस्थ मेजबान प्रजाति के माध्यम से मनुष्यों के साथ इस वायरस का संपर्क सबसे संभावित मार्ग है.
— Peter Daszak (@PeterDaszak) February 9, 2021
वायरस की उत्पत्ति के लिए चार प्रमुख परिकल्पनाएं क्या थीं?
WHO टीम द्वारा वायरस की उत्पत्ति और संचरण के बारे में दी गई चार प्रमुख परिकल्पनायें निम्नलिखित हैं:
• डायरेक्ट जूनोटिक स्पिलओवर
• मध्यस्थ मेजबान प्रजातियों के माध्यम से वायरस का संचरण
• खाद्य श्रृंखला, जमे हुए खाद्य उत्पाद, सतह संचरण
• किसी लैब से संबंधित घटना
लैब लीक के सिद्धांत को किया खारिज
इस अंतर्राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व करने वाले डेनमार्क के WHO खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. पीटर बेन एम्बरेक ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि, उनकी टीम इस सिद्धांत पर आगे की जांच का सुझाव नहीं देगी कि कोविड -19 वायरस गलती से कोरोना वायरस पर शोध करने वाली किसी लैब से लीक हो गया था.
इस जांच से क्या पता चलता है?
इस विश्व स्वास्थ्य निकाय ने कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति के बारे में अपनी जांच के बारे में आगे बताते हुए यह कहा है कि, चीन में किसी भी पशु प्रजाति में कोरोना वायरस के संचरण का कोई प्रमाण नहीं मिला है.
डॉ. एम्बरेक ने आगे यह उल्लेख किया है कि, इस बीमारी के लिए किसी भी पशु प्रजाति को संभावित कारण/ स्रोत मानना संभव नहीं है.
पृष्ठभूमि
चीन में WHO के नेतृत्व में एक टीम ने यह जांच की थी कि, दिसंबर, 2019 में वुहान में निमोनिया जैसे लक्षणों वाले मरीजों का एक समूह मिला था.
तब कोरोना वायरस की पहचान की गई थी, जो इस बीमारी का प्रमुख कारण था, जिसे बाद में कोविड -19 के तौर पर पहचान दी गई. इससे पूरे विश्व में महामारी फ़ैल गई और 90 मिलियन से अधिक लोग संक्रमित हो गये तथा 1.9 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई.
इस वायरस के प्रकोप के बाद, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना वायरस को ‘चीनी वायरस’ कहकर चीन को इस महामारी के लिए जिम्मेदार ठहराया था.
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