8 जून: विश्व महासागर दिवस
विश्व भर में 8 जून 2017 को अंतरराष्ट्रीय महासागर दिवस मनाया गया जिसका विषय था - हमारे महासागर, हमारे भविष्य (Our oceans, our future).
महासागरों में गिरने वाले प्लास्टिक प्रदूषण के वजह से महासागर धीरे-धीरे अपशिष्ट होते जा रहे हैं. इससे समुद्री जीवों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. वे गलती से प्लास्टिक को अपना भोजन समझ लेते हैं जिससे उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है.
वैज्ञानिक इससे मनुष्यों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित हैं. महासागर हमारी पृथ्वी पर न सिर्फ जीवन का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संतुलन में भी प्रमुख भूमिका अदा करता है। पृथ्वी पर जीवन का आरंभ महासागरों से माना जाता है.
महासागरीय जल में ही पहली बार जीवन का अंकुर फूटा था. संयुक्त राष्ट्र ने इस अवसर पर एक फोटो प्रतियोगिता का आयोजन किया था जिसके विजेताओं को इसके मुख्यालय में पुरस्कृत किया गया.
अंतरराष्ट्रीय महासागर दिवस मनाने का उद्देश्य:
विश्व महासागर दिवस' मनाने का प्रमुख कारण विश्व में महासागरों के महत्त्व और उनकी वजह से आने वाली चुनौतियों के बारे में विश्व में जागरूकता पैदा करना है. इसका उद्देश्य लोगों को उनके जीवन में महासागरों के महत्व के बारे में बताना है. इसके अलावा महासागर से जुड़े पहलुओं, जैसे -खाद्य सुरक्षा, जैव-विविधता, पारिस्थितिक संतुलन, सामुद्रिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग, जलवायु परिवर्तन आदि पर प्रकाश डालना है.
प्रत्येक वर्ष 'विश्व महासागर दिवस' पर पूरे विश्व में महासागर से जुड़े विषयों में विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं, जो महासागर के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के प्रति जागरूकता पैदा करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं.
महासागर पृथ्वी के लिए फेफड़ों के समान है जहां से संपूर्ण पृथ्वी को अधिकतर ऑक्सीजन प्राप्त होता है. लोगों को समुद्र में फैलाये जा रहे प्रदूषण के प्रभाव के बारे में बताना. महासागरों के प्रति विश्व भर में जागरुकता फैलाना हैं. समुद्र भोजन एवं दवाओं का सबसे बड़ा स्रोत है इसलिए इसके संरक्षण के उपायों के बारे में लोगों को बताना हैं.
पृष्ठभूमि:
प्रथम विश्व महासागर दिवस 8 जून 2009 को मनाया गया था. यह दिवस वर्ष 1992 में रियो डी जनेरियो में हुए ‘पृथ्वी ग्रह’ नामक फोरम में प्रतिवर्ष विश्व महासागर दिवस मनाने के फैसले के बाद और वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस संबंध में आधिकारिक मान्यता दिए जाने के बाद मनाया जाने लगा.
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