उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रम एवं सेवायोजन विभाग द्वारा संचालित ‘उप्र बेरोजगारी भत्ता’ योजना को बन्द कर दिया है. नई सरकार बनने पर कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग ने अप्रासंगिक योजनाओं को समाप्त करने के लिए सभी विभागों को पत्र जारी किया था.
योजना समाप्त करने का कारण: |
मौजूदा समय में योजना के अप्रासंगिक होने की वजह से इसे बंद करने का फैसला लिया गया है. वर्ष 2014-15 से चलन में नहीं होने के कारण बेरोजगारी भत्ता योजना को समाप्त करने का फैसला लिया है. |
मुख्य तथ्य:
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूर्ववर्ती समावजादी पार्टी की सरकार की बहुप्रतीक्षित बेरोजगारी भत्ता योजना को समाप्त कर दिया है.
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने अपने घोषणा पत्र में नौजवानों को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. इसी वादे को पूरा करने के लिए 2012-13 में श्रम एवं सेवायोजन विभाग के बजट में उत्तर प्रदेश बेरोजगारी भत्ता योजना के लिए टोकन मनी का प्रावधान किया गया था.
पहली बार ‘उप्र बेरोजगार भत्ता’ योजना:
वर्ष 2006 में पहली बार मुलायम सिंह यादव की सरकार में ‘उप्र बेरोजगार भत्ता’ योजना शुरू की गई थी. वर्ष 2007 में मायावती सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था. वर्ष 2012 में एसपी की सरकार बनने पर इसे फिर शुरू किया गया था.
सपा के समय बेरोजगारी भत्ता:
प्रत्येक बेरोजगार व्यक्ति को प्रतिमाह एक हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता दिया जाता था. बेरोजगारी भत्ते का भुगतान त्रैमासिक किस्तों में किया गया था.
इस बेरोजगारी भत्ता का का लाभ 30 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे व्यक्तियों को दिया जाता था जो हाईस्कूल या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण हों और किसी भी रोजगार, जिसमें सरकारी, अर्धसरकारी व निजी क्षेत्र की नौकरी एवं स्वरोजगार से जुड़े न हों.
राज्य के किसी भी सेवायोजन कार्यालय में पंजीकृत ऐसे बेरोजगारों को 40 वर्ष की उम्र पूर्ण करने तक भत्ता मिलता था. योजना का लाभ उन्हीं बेरोजगार व्यक्तियों को मिलता था जो उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं तथा वर्तमान में राज्य में निवास कर रहे हैं.
बेरोजगारी भत्ता क्या है?
बेरोजगारी भत्ता बेरोजगार युवाओ को रोजगार तलाशने के लिए दिया जाता है. नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे बेरोजगार उम्मीदवार अपने कौशल को बढ़ाने के लिए इस पैसे का उपयोग कर सकते हैं.
बेरोजगार व्यक्ति को रोजगार प्राप्त होने पर बेरोजगारी भत्ते का भुगतान रोक दिया जाता है. यह सूचित करने का दायित्व बेरोजगार व्यक्ति का ही होता है कि उसे अमुक माह से रोजगार मिल गया है.
गलत शपथपत्र एवं गलत विवरण देने की स्थिति में सम्बंधित व्यक्ति का बेरोजगारी भत्ता रोक दिया जाता है तथा उसके विरुद्ध समुचित कानूनी कार्रवाई भी की जाती है.
बेरोजगारी भत्ता पाने वाले व्यक्तियों से सरकार या जिला प्रशासन द्वारा उनके निवास स्थान के विकास खंड या नगर क्षेत्र की स्थिति में सम्बंधित नगरीय क्षेत्र की सीमाओं में उनका रोजगारपरक कौशल बढ़ाने के लिए उनसे समय-समय पर कार्य लिया जा सकता है.
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