अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने जातीय पार्टी के नेता और बांग्लादेश के पूर्व सांसद अब्दुल जब्बर को आजीवन कारावास की सजा और दस लाख टका का जुर्माना सुनाया. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने यह निर्णय 24 फरवरी 2015 को दिया. उन्हें यह सजा वर्ष 1971 में पाकिस्तान के विरूद्ध लड़ी गई आजादी की लड़ाई (मुक्ति संग्राम) के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए दी गई.
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के तीन सदस्यीय पैनल के अध्यक्ष इनायत उर रहीम ने निर्देश दिया कि भगौड़े नेता को उसके युद्ध अपराधों के लिए शेष समय जेल में ही बितानी होगी. उन्होंने निर्देश दिया कि अब्दुल जब्बार के विरूद्ध लगाए गए पांचों आरोप उनकी गैर मौजूदगी में चलाए गए मामले के दौरान निःसंदेह सही साबित हुए.
अब्दुल जब्बर से संबंधित मुख्य तथ्य
अब्दुल जब्बर वर्ष 2009 से ही फरार थे. 79 वर्षीय अब्दुल जब्बर मथबरिया में विवादास्पद शांति समिति के अध्यक्ष थे जिसने युद्ध अपराधों की साजिश में मदद की थी. उनपर हत्या, आगजनी, लूटपाट और नरसंहार के आरोप थे.
जातीय पार्टी प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ताधारी आवामी लीग की सहयोगी एवं पूर्व राष्ट्रपति एचएम इरशाद की पार्टी है.
बांग्लादेश ने मुख्य रूप से बंगाली बोलने वाले उन साजिशकर्ताओं के विरूद्ध मामले चलाने की शुरूआत की थी, जिन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों का पक्ष लिया था और अत्याचार एवं जनसंहार किया था. बांग्लादेश की तरफ से इसकी शुरूआत किए जाने के बाद से अब्दुल जब्बार ऐसे 17वें संदिग्ध हैं, जिनपर मामला चलाया गया. इसके अलावा वह 5वें ऐसे संदिग्ध हैं, जिनपर मामला उनकी गैर मौजूदगी में चलाया गया. अब्दुल जब्बार पर पाकिस्तान समर्थक बलों का अपने दक्षिण-पश्चिमी गृह जिले पिरोजपुर में नेतृत्व करने का आरोप लगाया गया था.
वर्ष 1986 में वह जातीय पार्टी में शामिल हुए और सांसद चुने गए. वर्ष 1991 में जब बीएनपी सत्ता में आई थी, तब उनपर टिन और चावल के गबन के मामलों में आरोप लगा था.
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