उत्तर प्रदेश सरकार ने 11 अगस्त 2011 को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत भूमि की वापसी के लिए किसी व्यक्ति/संस्था द्वारा दावा नहीं कर सकने वाला उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास संशोधन विधेयक-2011 पारित किया. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित इस भूमि अधिग्रहण के संशोधन विधेयक के अनुसार राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत भूमि चाहे कितने भी समय तक खाली पड़ी रहे, उसके मालिकाना हक की वापसी के लिए कोई दावा नहीं कर सकता है.
ज्ञातव्य हो कि उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास संशोधन विधेयक-2011 पारित होने से पूर्व राज्य में लागू भूमि अधिग्रहण विधेयक की धारा 17 में अनिवार्य भूमि अर्जन की व्यवस्था थी और उसकी उपधारा (1) में यह भी प्रावधान था कि यदि अधिग्रहीत भूमि का पांच साल के भीतर घोषित प्रयोजन के लिए उपयोग नहीं कर लिया जाता और भूमि खाली पड़ी रहती है तो उसका पूर्वस्वामी प्रतिपूर्ति के रूप में मिली धनराशि को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ सरकार को लौटाकर अपनी भूमि वापस पाने का दावा कर सकता था.
उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में पारित उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास संशोधन विधेयक-2011 के तहत अब अर्जित की गई भूमि के भू-स्वामी भविष्य में अपनी जमीन की वापसी के लिए कोई दावा नहीं कर सकते हैं.
उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (संशोधन) विधेयक 2011, सोसायटी रजिस्ट्रीकरण उत्तर प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2011 और उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत जिला पंचायत (संशोधन) विधेयक 2011 भी पारित किए गए. उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत जिला पंचायत (संशोधन) विधेयक 2011 के तहत किसी जिला अथवा क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की कम से कम एक साल की अवधि को बढ़ाकर दो साल कर दिया गया है, यानी अब शपथ-ग्रहण की तिथि से दो साल तक उनके विरुद्ध कोई अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सकता है.
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