अफगानिस्तान ने तालिबान के साथ बातचीत की घोषणा के बाद अमेरिका से द्विपक्षीय सुरक्षा समझौता पर बातचीत 19 जून 2013 को रोक दी. इसके साथ ही राष्ट्रपति हामिद करजई के नेतृत्व वाली सरकार ने कतर में दफ्तर खोल चुके तालिबान के साथ संभावित संवाद का भी बहिष्कार करने की चेतावनी दी.
अफगानिस्तान सरकार ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते के सिलसिले में बातचीत स्थगित करने का यह कदम तालिबान द्वारा 19 जून 2013 को दोहा में अपना दतर खोले जाने और अमेरिका की ओर से तालिबान के साथ सीधी बातचीत शुरू करने की घोषणा के बाद उठाया. शांति वार्ता के संदर्भ में तालिबान का यह दफ्तर खुला है जिसे इस्लामिक एमिरेट ऑफ अफगानिस्तान नाम दिया गया. अफगानिस्तान प्रशासन की मुख्य आपत्ति इसी नाम को लेकर है. इसकी स्थापना वर्ष 1996 में हुई थी जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर शासन प्रारंभ किया था. वर्ष 2001 में तालिबान के पतन के साथ ही इसका अंत हो गया था.
विदित हो कि अफगानिस्तान से तालिबान को वर्ष 2001 में सत्ता से बेदखल करने के बाद पहली बार नाटो ने पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों को सौंपी. इसके साथ ही सुरक्षा दायित्व अफगान सेनाओं को सौंपे जाने की 2011 में शुरू हुई प्रक्रिया पूरी हो गई. एक तरफ तो अंतरराष्ट्रीय सेना ने देश के बकाया 95 जिलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अफगान सुरक्षा बलों को सौंपी, वहीं राष्ट्रपति पद के चुनाव की घोषणा के बाद देश में वर्ष 2014 में होने वाले राजनीतिक बदलाव की तैयारियां भी जारी है.
अफगान सेनाओं ने नाटो के नेतृत्व वाली सेना से औपचारिक रूप से पूरे देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली...
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